अपनी पॉवर- पॉलिटिक्स के तहत ट्रंप साफ पैगाम दे रहे हैं कि चीजें वो तय करेगा, जिसके पास शक्ति है। इस क्रम में वे “शक्तिशाली” नेताओं से संपर्क जोड़ रहे हैं। पुतिन को वे वैसा ही नेता समझते हैं।
सऊदी अरब में अमेरिका और रूस के विदेश मंत्रियों की हुई बैठक का सार है कि ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन को डंप कर दिया है। वैसे उसने पूरे यूरोप को ही अधर में छोड़ दिया है। ये सब अब अपने जख्मों को खुद ही सहलाने के लिए मजबूर हैं। मार्को रुबियो और सर्गेई लावरोव की बातचीत में अमेरिका और रूस चार सूत्रों पर सहमत हुए। वैसे तो दुनिया का ध्यान यूक्रेन युद्ध संबंधी वार्ता पर था, मगर उससे आगे जाते हुए दोनों देश आपसी संबंध को पुनर्स्थापित करने के कदम उठाने पर भी रजामंद हुए। इसके तहत पहला लक्ष्य कूटनीतिक संबंध की बहाली है।
रुबियो ने दो टूक कहा कि युद्ध खत्म हुआ, तो रूस पर से आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध भी हटाए जाएंगे। बातचीत के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेनेंस्की पर गंभीर इल्जाम लगाए। कहा कि इस युद्ध के लिए जेलन्स्की दोषी हैं और अब वे अपने देश में बेहद अलोकप्रिय हैं। जेलेन्स्की ने एतराज जताया था कि अमेरिका ने बिना यूक्रेन को शामिल किए उनके देश के बारे में सीधे रूस बातचीत शुरू कर दी है। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने कहा कि लड़ाई जेलेन्स्की ने शुरू की और इसे खत्म करने के लिए उनके पास तीन साल का वक्त था। ट्रंप ने अरबों डॉलर की अमेरिकी मदद के उपयोग को लेकर भी संदेह जताया। उधर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहल पर अमेरिका के अचानक रुख परिवर्तन से आहत यूरोपीय नेताओं की हुई बैठक कोई ठोस कार्य योजना बना पाने में नाकाम रही।
असल में, यूरोप का जो ढांचा दूसरे विश्व युद्ध के बाद से मौजूद है, उसमें अमेरिका से अलग हट कर कोई बड़ी योजना बनाना उनके लिए मुमकिन भी नहीं है। उधर अपनी पॉवर- पॉलिटिक्स के तहत ट्रंप साफ पैगाम दे रहे हैं कि चीजें वो तय करेगा, जिसके पास शक्ति है। इस क्रम में वे “शक्तिशाली” नेताओं से संपर्क जोड़ रहे हैं। व्लादीमीर पुतिन को वे वैसा ही नेता समझते हैं। यह नया दौर है, जिसमें एक पुराने युद्ध की समाप्ति की संभावना ने ठोस रूप ले लिया है।