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22-03-2025 Vol 19

हल आसान नहीं है

russia ukraine war : इस बातचीत से ट्रंप का ये भ्रम जरूर टूट गया होगा कि उनके एक फोन से यूक्रेन युद्ध रुक जाएगा। उलटे पुतिन उन्हें इस मांग पर राजी करने में कामयाब हो गए कि मुद्दा युद्धविराम का नहीं, बल्कि शांति के विस्तृत समझौते का है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के बीच हुई फोन वार्ता का सार है कि रूस- यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का रास्ता आसान नहीं है।

तकरीबन दो घंटों की इस बातचीत से ट्रंप का ये भ्रम जरूर टूट गया होगा कि उनके ‘एक फोन से पुतिन युद्ध रोकने को तैयार हो जाएंगे’। उलटे पुतिन उन्हें अपनी इस मांग पर राजी करने में कामयाब हो गए कि मुद्दा युद्धविराम का नहीं, बल्कि शांति के विस्तृत समझौते का है।

अब दोनों देश पश्चिम एशिया में किसी स्थल पर शांति समझौते के लिए वार्ता करेंगे। वैसे ट्रंप की भी बात मानी गई, यह संदेश देने के लिए पुतिन 30 दिन तक यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमले ना करने पर सहमत हुए, बशर्ते यूक्रेन भी इस शर्त को माने। (russia ukraine war)

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ट्रंप प्रशासन का क्या रुख (russia ukraine war)

इसके अलावा दोनों देश एक-दूसरे के 125- 125 युद्धबंदियों को रिहा करेंगे। लेकिन युद्ध जारी रहेगा। मतलब यह कि सऊदी अरब में अमेरिका और रूस के प्रतिनिधिमंडलों के बीच हुई पहली वार्ता में रूस ने जो शर्तें रखी थीं, उन पर वह टिका हुआ है।

इन शर्तों को बाद में पुतिन ने भी दोहराया था। इनमें शामिल है कि तीन साल से जारी मौजूदा युद्ध में रूस ने यूक्रेन के जिन इलाकों पर कब्जा किया है, उन्हें वह नहीं लौटाएगा। (russia ukraine war)

उसका यही रुख क्राइमिया के बारे में है, जिसे रूस ने 2014 में अपने देश में मिला लिया था। इसके अलावा रूस इस मांग पर कायम है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा- इसकी गारंटी दी जाए।

इन मामलों में ट्रंप प्रशासन का क्या रुख है, इस बारे में अभी तक कुछ हलके संकेत ही मिले हैं। इनके मुताबिक इन्हें मानने में उसे ज्यादा दिक्कत नहीं है।

मगर क्या यह यूक्रेन और यूरोपीय देशों को मंजूर होगा? अगर नहीं हुआ, तो युद्ध का कोई हल नहीं निकलेगा। इस बीच अमेरिका जरूर अपने संबंध रूस से सामान्य बना सकता है। (russia ukraine war)

उसकी कंपनियों को रूस लौटने का न्योता पुतिन दे चुके हैं। मगर ऐसे बढ़े हर कदम पश्चिमी खेमे को विभाजित करने की दिशा में ही जाएंगे।

NI Editorial

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