nayaindia parliament session opposition विपक्ष के आक्रामक तेवर
Editorial

विपक्ष के आक्रामक तेवर

ByNI Editorial,
Share

संसद में विपक्ष की जैसी आक्रामकता देखने को मिल रही है, वैसा पिछले दस साल में कभी नहीं था। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के रुख में जितनी रक्षात्मकता आ गई दिखती है, वह भी नई बात ही है।

नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में संसद के दोनों सदनों का नज़ारा बदला हुआ है। विपक्ष की जैसी आक्रामकता वहां देखने को मिल रही है, वैसा पिछले दस साल में कभी नहीं था। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के रुख में जितनी रक्षात्मकता आ गई है, वह भी नई बात है। क्या इसकी वजह यह है कि दोनों पक्षों ने एक महीना पहले आए चुनाव नतीजों के संदेश को समान रूप में समझा है, भले सत्ता पक्ष दिखावा कुछ और कर रहा हो? संदेश यह है कि 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी भले अपने सहयोगी दलों के साथ मिल कर चुनावी गणना में आगे रही, लेकिन असल में उसकी राजनीतिक पराजय हुई। इसीलिए उस परिणाम से विपक्ष का मनोबल बढ़ा है, जबकि सत्ता पक्ष के हौसले पर उसका नकारात्मक असर हुआ है। नतीजतन, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों पर विपक्षी नेताओं ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ भाजपा के केंद्रीय एजेंडे- यानी हिंदुत्व को निशाना बनाया है।

एक और ट्रेंड यह है कि विपक्षी नेता पीठासीन अधिकारियों पर ऐसे कोण से प्रहार कर रहे हैं, जिससे खास कर पिछले पांच वर्षों में दिखता रहा उनका पक्षपात से भरा रुख बेनकाब हो। सभापति या स्पीकर का नैतिक रुतबा होता है। विपक्षी नेता फिलहाल उससे उन्हें वंचित करने के प्रयास में जुटे दिखते हैं। ऐसा करना संसदीय लोकतंत्र के हित में है या नहीं, यह बड़ा सवाल है। मगर इसके साथ यह प्रश्न भी उठेगा कि क्या पीठासीन अधिकारियों को पक्षपाती रुख से व्यवहार करते दिखना चाहिए? लोकसभा में दिए गए कुछ हमलावर तेवर के भाषणों में निर्वाचन आयोग पर भी गोले दागे गए। यहां भी वही मुद्दा है। विचारणीय है कि ऐसी स्थिति क्यों आई, जिसमें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक संस्थाएं आज राजनीतिक अखाड़े के दांव-पेच का शिकार बनती नज़र आ रही हैं? जिस समय समाज और राजनीति अति-ध्रुवीकरण का शिकार हों, तब दूरगामी महत्त्व के ऐसे गंभीर प्रश्नों पर अक्सर ध्यान नहीं जाता। मगर इन पर ध्यान देने की जररूत है। सिर्फ तभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के पुनर्जीवन की संभावनाएं उत्पन्न हो सकेंगी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें