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01-04-2025 Vol 19

संबंधों को सही दिशा

मोईजू ने उम्मीद जताई थी कि ‘भारत मालदीव के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।’ कहा जा सकता है कि भारत ने उनकी उम्मीदें पूरी की हैँ। पड़ोसी देशों के भारत से छिटकने के इस दौर में यह एक स्वागत-योग्य घटनाक्रम है।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोईजू की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में जारी कड़वाहट को दूर करने में सहायता मिली है। मोईजू ने राष्ट्रपति बनने के बाद एक राजनेता की तरह चुनावी सरगर्मी से विदेश नीति- खासकर भारत संबंधी नीति- को अलग करने की दिशा में ठोस प्रयास किए हैं। भारत सरकार ने भी आरंभ में सख्त रुख दिखाने के बाद अब संबंधों को संभालने को प्राथमिकता दी है। मालदीव छोटा-सा द्वीप है, लेकिन अपने भौगोलिक स्थिति के कारण महत्त्वपूर्ण है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव को मोहम्मद मोईजू ने ‘इंडिया आउट’ अभियान की पीठ पर सवार होकर जीता था।

भारत यात्रा के दौरान एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने उस अभियान को जन भावनाओं की अभिव्यक्ति बताया, लेकिन यह भी कहा कि उनकी विदेश नीति उस अभियान के प्रभाव से संचालित नहीं है। भारत सरकार ने भी बीती बातों को भुलाकर मालदीव से संबंधों के मामले में नई शुरुआत करने की जरूरत महसूस की। अनेक छोटे देशों की तरह मालदीव की भी अर्थव्यवस्था आर्थिक संकट से गुजर रही है। इस साल की पहली तिमाही में मालदीव का विदेशी ऋण 3.37 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो उसके जीडीपी के 45 प्रतिशत के बराबर है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी घट गया है।

ऐसे में भारत ने मदद करने का फैसला किया। इस क्रम में भारत ने मुद्राओं की अदला-बदली के समझौते की घोषणा की, जिसके तहत भारत मालदीव को 40 करोड़ डॉलर के अलावा 30 अरब रुपयों की मदद भारत देगा। मोईजू ने इसके लिए भारत का आभार जताया है। गौरतलब है कि भारत आने से पहले मोईजू ने एक विदेशी टीवी चैनल से बातचीत में कहा था कि भारत को उनके देश की वित्तीय हालत की पूरी जानकारी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘मालदीव के सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक होने के नाते भारत हमेशा हमारे बोझ को कम करने के लिए तैयार रहेगा।’ कहा जा सकता है कि भारत ने उनकी उम्मीदें पूरी की हैँ। पास-पड़ोस में एक-एक कर देशों के भारत से छिटकने के इस दौर में यह एक स्वागत-योग्य घटनाक्रम है।

NI Editorial

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