न्यायिक मर्यादाओं का खुलेआम उल्लंघन करते हुए राजनीतिक शक्ति का बेलगाम प्रदर्शन किया जाने लगे, तो फिर इंसाफ की अपेक्षाएं धूल मिल जाएंगी। इसलिए यह अपेक्षित है कि महाराष्ट्र सरकार स्टूडियो पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश दे। (kunal kamra)
स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के कटाक्ष अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं या नहीं अथवा ऐसी कॉमेडी में क्या अश्लीलता के पुट हैं, यह अलग मुद्दा है। आहत हर व्यक्ति को अधिकार है कि वह ऐसे व्यंग्य को अदालत में चुनौती दे।
संवैधानिक प्रावधानों एवं भावना के मुताबिक इस पर निर्णय लेना न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। मगर ऐसे मामलों में सीधा कानून अपने हाथ में लेना कानून की सत्ता को चुनौती देना है।
ऐसी कार्रवाइयों को राजनेताओं भी समर्थन मिला दिखे, तो फिर यही माना जाएगा कि संबंधित प्रदेश में संवैधानिक व्यवस्था भंग हो चुकी है। (kunal kamra)
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त्वरित बुल्डोजर न्याय पर प्रतिबंध (kunal kamra)
अगर हमले पहले से एलान कर किए जाएं और फिर भी संबंधित व्यक्ति या निशाना स्थल को पर्याप्त सुरक्षा ना दी जाए, तो बात और ज्यादा संगीन हो जाती है। (kunal kamra)
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ कटाक्ष पर कामरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई (चाहे यह जिन धाराओं में कराई गई हो), तो उस पर किसी को वैधानिक एतराज नहीं हो सकता।
लेकिन जिस तरह उन्हें हिंसक धमकियां दी गईं और जिस स्टूडियो में उनका शो रिकॉर्ड हुआ था (जिसके मालिक वो नहीं हैं) उसे लगभग ध्वस्त कर दिया गया, उससे मुंबई में कानूनी व्यवस्था के कारगर रह जाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैँ।
स्टूडियो पर महानगर पालिका के बुल्डोजरों का भी इस्तेमाल हुआ- इसकी पूरी अनदेखी करते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे “त्वरित बुल्डोजर न्याय” पर प्रतिबंध लगा रखा है। (kunal kamra)
न्यायिक मर्यादाओं का खुलेआम उल्लंघन करते हुए राजसत्ता एवं राजनीतिक शक्ति का ऐसा बेलगाम प्रदर्शन किया जाने लगे, तो फिर देश में इंसाफ की अपेक्षाएं धूल मिल जाएंगी।
इस बिंदु पर यह सबको अवश्य याद कर लेना चाहिए कि जो समाज जिसकी लाठी, उसकी भैंस के सिद्धांत से चले हैं, उन्होंने अपने यहां अराजकता और तबाही को आमंत्रित किया है। (kunal kamra)
इसलिए यह अपेक्षित है कि महाराष्ट्र सरकार सियासी तकाजों से उठ कर स्टूडियो पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश दे। साथ ही सत्ताधारी नेताओं के लिए जरूरी है कि वे कानून के प्रति अपनी अखंड निष्ठा जताएं।