Wednesday

23-04-2025 Vol 19

मान-अपमान से आगे

us canada border: कनाडा के रास्ते अमेरिका में अवैध प्रवेश की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। कनाडा के रास्ते ऐसे कुल 1,09,535 प्रयास हुए, जिनमें 16 प्रतिशत में भारतीय शामिल थे।

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देश की प्रतिष्ठा गिरा रहे

गुजरे हफ्ते राज्यसभा में इस प्रश्न का विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जवाब नहीं दिया कि क्या भारत से गैर-कानूनी ढंग से बाहर जाकर आश्रय मांगने वाले लोगों की संख्या में 800 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।

सिंह ने कहा कि सरकार के पास इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं है, क्योंकि ये लोग जिन देशों में जाते हैं, वहां की सरकारें उन्हें साझा नहीं करतीं।

मगर उन्होंने यह जरूर कहा कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे देश की प्रतिष्ठा गिरा रहे हैं।

बहरहाल, अब एक आंकड़ा जरूर सामने आया है, जिसे भारत सरकार के नजरिए से देश के लिए अपमानजक कहा जाएगा। ये सूचना अमेरिका के कस्टम और सीमा सुरक्षा विभाग ने दी है।

कनाडा के रास्ते हुए प्रयासों का आंकड़ा(us canada border)

उसके मुताबिक कनाडा के रास्ते अमेरिका में अवैध प्रवेश की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी।

कनाडा के रास्ते ऐसे कुल 1,09,535 प्रयास हुए, जिनमें 16 प्रतिशत में भारतीय शामिल थे। उसके पहले वाले वर्ष में 30,010 भारतीयों ने ऐसी कोशिश की थी, जबकि उपरोक्त अवधि में यह संख्या 43,764 हो गई।

और यह सिर्फ कनाडा के रास्ते हुए प्रयासों का आंकड़ा है और वह भी सिर्फ उनसे संबंधित है, जिन्हें ऐसी कोशिश करते हुए पकड़ा गया। अमेरिका में ऐसी घुसपैठ की सबसे ज्यादा कोशिशें मेक्सिको की तरफ से होती है।

अब चूंकि अवैध आव्रजकों को देश से निकालना और अवैध आव्रजन रोकना निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सर्वोच्च प्राथमिकता है, तो यह मुद्दा चर्चा में आया है।

वैसे भारत से बड़े पैमाने पर अवैध ढंग से जाकर विदेश में बसने की कोशिश कर रहे हैं, यह आम जानकारी है। यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसी कोशिशों अक्सर साधन संपन्न वर्ग के लोग शामिल होते हैं।

क्यों? मान-अपमान की सोच से बाहर निकल सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। आखिर क्यों विदेश में बसाने के लिए 80 लाख रुपये तक एजेंटों को देने के लिए लोग तैयार हो रहे हैं?

देश में मौजूद अवसरों के प्रति लोगों का विश्वास इतना क्यों डोल गया है, सोचने का मुद्दा यह है।

NI Editorial

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