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24-04-2025 Vol 19

किसानों के लिए सरकार!

Fertilizer Subsidy Increased: जहां तक डीएपी के लिए सब्सिडी का सवाल है, तो असल कहानी रुपये की कीमत में भारी गिरावट में छिपी है। डीएपी सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला खाद है, जबकि इसकी उपलब्धता के लिए भारत लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है।

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कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने नए साल का पहला फैसला किसानों के हित में लिया है। नरेंद्र मोदी ने कहा- हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

घोषणा के मुताबिक केंद्र ने दो महत्त्वपूर्ण फैसले लिए। सरकार ने डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के आयात के लिए प्रति टन 3,500 रुपये की विशेष सब्सिडी की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया।

साथ ही दो फसल बीमा योजनाओं में तकनीक के उपयोग के लिए 824.77 करोड़ रुपये मंजूर किए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अब 2025-26 में भी जारी रहेगी।

ये फैसला नहीं होता, तो इस योजना के लिए सरकारी सब्सिडी की अवधि अगले मार्च में समाप्त हो जाती।

इसके लिए 2021-22 से 2024-25 तक के लिए 66,515 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। अब 3,045 करोड़ रुपये और आवंटित किए गए हैँ।

जहां तक डीएपी के लिए सब्सिडी का सवाल है, तो असल कहानी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में भारी गिरावट में छिपी है।

डीएपी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला खाद है, जबकि इसकी उपलब्धता के लिए भारत लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है।

फसल बीमा योजना भी साल भर जारी

सरकार ने बाजार में इसकी अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) में वृद्धि को फ्रीज कर रखा है। इसलिए रुपये की गिरती की कीमत से आयातकों के लिए इसे मंगवाना घाटे का सौदा बन गया है।

तो किसान कल्याण के प्रति सरकार की “प्रतिबद्धता” का कुल व्यावहारिक नतीजा यह होगा कि मौजूदा कीमत पर एक साल और डीएपी किसानों को मिल सकेगा, हालांकि सरकारी सब्सिडी के बावजूद मांग के सीजन में डीएपी उपलब्धता को लेकर किसान शिकायत जताते रहे हैं।

उधर फसल बीमा योजना भी साल भर और जारी रहेगी। निजी कंपनियों के जरिए लागू यह योजना सवालों के घेरे में रही है। इसकी आलोचना रही है कि इसका असल लाभ किसानों के बजाय बीमा कंपनियों को मिला है।

चाहे बीमा कोई भी हो, निजी कंपनियों का क्लेम देने में देर या इनकार करना आम कहानी है। किसान भी इसका शिकार हुए हैं।

इसीलिए किसान संगठन इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बाजार अर्थव्यवस्था में एमएसपी की बिना कानूनी गारंटी हुए किसान कल्याण नहीं हो सकता।

NI Editorial

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