Wednesday

23-04-2025 Vol 19

प्रदूषण की आर्थिक मार

प्रदूषण से भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है। दिल्ली में हर साल औसतन 275 दिन खराब हवा दर्ज की जाती है। ये मुश्किलें स्पष्ट हैं। फिर भी टिकाऊ हल की तलाश का कोई गंभीर प्रयास होते हम नहीं देख रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में छाया जहरीला धुआं इस महीने की प्रमुख खबरों में रहा है। इस बीच यह जिक्र भी हुआ है कि एनसीआर की बदहाली तो फिर भी सुर्खियों में आ जाती है, लेकिन देश के बहुत-से शहरों के प्रदूषण पर शायद ही कभी ध्यान जाता है, जबकि वहां हाल किसी रूप में बेहतर नहीं है। फिर प्रदूषण पर चर्चा अक्सर स्वास्थ्य के नजरिए से होती है- जबकि अर्थव्यवस्था पर होने वाले खराब असर पर अक्सर बात नहीं होती। जबकि हकीकत यह है कि इसका अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण से हर साल देश की जीडीपी के लगभग तीन प्रतिशत हिस्से का का नुकसान हुआ है। डलबर्ग नाम की ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म ने यह अनुमान लगाया था।

बेशक प्रदूषण के नुकसान को पैसों में नहीं तोला जा सकता। फिर भी इसकी आर्थिक कीमत भी बहुत महंगी है, यह साफ है। सघन प्रदूषण के समय दफ्तरों का बंद होना, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण लोगों का काम पर ना जा पाना, बीमारियों के इलाज, समय से पहले मौत, और इन सबके परिवारों पर पड़ने वाले असर की कीमत बेहद महंगी है। बाजार विशेषज्ञों की राय में प्रदूषण का उपभोक्ता अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। इसकी वजह से इस सीजन में लोग बाजारों और रेस्तराओं में कम जाते हैं।

दिल्ली पर गौर करें, तो जो इस समस्या के कारण राष्ट्रीय राजधानी को अपनी जीडीपी के छह फीसदी हिस्से का नुकसान हर साल हो रहा है। तजुर्बा यह है कि सेहत को लेकर सजग लोग बाहर निकलने से बचते हैं, जिससे व्यापार प्रभावित होता है। पर्यटन उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है। सर्दियों के मौसम में ज्यादातर विदेशी पर्यटक भारत आते रहे हैं। लेकिन अब धुंध की वजह से वे अपना प्रोग्राम टाल देते हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूअर ऑपरेटर्स के मुताबिक प्रदूषण से भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है। दिल्ली में हर साल औसतन 275 दिन खराब हवा दर्ज की जाती है। ये मुश्किलें स्पष्ट हैं। फिर भी टिकाऊ हल की तलाश का कोई गंभीर प्रयास होते हम नहीं देख रहे हैं।

NI Editorial

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