ट्रंप इस बार 2017 में बनी ‘बिजनेस प्रेसीडेंट’ की छवि बरकरार नहीं रख पाए हैं। ट्रंप का दावा रहा है कि पहले कार्यकाल में उन्होंने ‘रिकॉर्ड ग्रोथ, कम महंगाई, और उज्ज्वल व्यापार संभावनाओं का रिकॉर्ड बनाया’ था। मगर इस बार उलटा हो रहा है।
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में आर्थिक मंदी की संभावना से इनकार नहीं किया है। कई थिंक टैंक और मीडिया संगठनों ने इसी वर्ष मंदी आने का अनुमान लगाया है। अमेरिकी शेयर बाजारों में लगातार गिरावट का रुख है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से वहां तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान निवेशकों को हो चुका है। ऊपर से इस वर्ष 9.2 ट्रिलियन डॉलर के ऋण चुकाने की चुनौती अमेरिकी सरकार के सामने है। पिछले दो महीनों में उसके दस साल के बॉन्ड्स से संभावित मुनाफे में 60 आधार अंकों की गिरावट आई है। मुद्रास्फीति दर के फिर से छह प्रतिशत तक पहुंचने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जड़ें पहले भी मजबूत नहीं थीं, मगर ट्रंप के कुछ कदमों से अंदेशे और गहरा गए हैं।
इन कदमों में विभिन्न देशों के खिलाफ उनके प्रशासन के टैरिफ वॉर (जिससे कंपनियों के इनपुट महंगे हो रहे हैं) और आव्रजन के खिलाफ सख्त कदम (जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए सस्ते श्रम का स्रोत सिकुड़ गया है) की चर्चा अधिक है, मगर क्रिप्टोकरेंसी को अमेरिकी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा बनाने के उनके एलान ने भी खास भूमिका निभाई है। खुद क्रिप्टो के कारोबार से जुड़े अनेक जानकारों ने इस पर एतराज जताया है। कहा है कि दूरगामी लिहाज से यह अच्छा कदम नहीं है। परंपरागत कारोबारी तो इससे परेशान हुए ही हैं।
उनकी दलील है कि इस कदम के जरिए खुद अमेरिकी प्रशासन ने अपनी मुद्रा डॉलर में बढ़ते अविश्वास को जाहिर किया है। इसी संदर्भ में ये खबर भी चर्चित हुई कि अमेरिका ने जनवरी में रिकॉर्ड मात्रा में- 30.4 बिलियन डॉलर के सोने का आयात किया। इस तरह लगातार दूसरे महीने रिकॉर्ड बना। इसे भी अपनी मद्रा में अमेरिका के घटते भरोसे का संकेत समझा गया है। तो कुल मिला कर ट्रंप इस बार 2017 में बनी ‘बिजनेस प्रेसीडेंट’ की छवि बरकरार नहीं रख पाए हैं। ट्रंप का दावा रहा है कि पहले कार्यकाल में उन्होंने ‘रिकॉर्ड ग्रोथ, कम महंगाई, और उज्ज्वल व्यापार संभावनाओं का रिकॉर्ड बनाया’ था। मगर इस बार उलटा हो रहा है।