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15-04-2025 Vol 19

कभी हां, कभी ना!

फैसलों में अस्थिरता से क्या संदेश जाएगा? क्या ट्रंप प्रशासन के भीतर टैरिफ नीति पर गहरे मतभेद हैं और इसलिए परस्पर विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं? इनके बीच अमेरिका के साथ-साथ दुनिया भर के कारोबारी अभूतपूर्व अनिश्चिय में फंसे हुए हैँ।

अमेरिकी ट्रेजरी (बॉन्ड्स) के भाव में गिरावट से दबाव में आए डॉनल्ड ट्रंप ने आयात शुल्क युद्ध में कुछ रियायतें दीं, तो स्टॉक मार्केट कुछ संभला। लेकिन अगले ही दिन फिर गिरावट शुरू हो गई। कारण लोगों को यह अहसास होना था कि जैसे को तैसा टैरिफ को 90 दिन तक स्थगित किए जाने के बावजूद कई शुल्क जारी हैं। एक तो सभी देशों पर लगा 10 प्रतिशत टैरिफ जारी रहा।

फिर ऑटो पुर्जों, स्टील, अल्यूमिनियम, और कनाडा एवं मेक्सिको से कई आयात पर लगाए गए शुल्क जारी रहे। चीन पर तो टैरिफ और बढ़ा दिया गया। इस बीच शनिवार को अचानक एलान हुआ कि चीन सहित सभी देशों से सेमी-कंडक्टर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप आदि के आयात को शुल्क मुक्त किया जा रहा है।

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: अस्थिरता का असर

परंतु रविवार को अमेरिकी वित्त मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि इन वस्तुओं पर जल्द ही नए टैरिफ का एलान होगा। साथ ही औषधि आयात पर भी शुल्क लगेंगे। उधर चीन से आयातित इन वस्तुओं पर 20 प्रतिशत टैरिफ जारी है। ऐसी अस्थिरताओं से क्या संदेश जाएगा? क्या ट्रंप प्रशासन के भीतर टैरिफ नीति पर गहरे मतभेद उभर गए हैं और इसलिए परस्पर विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं?

इनके बीच अमेरिका के साथ-साथ दुनिया भर के कारोबारी अभूतपूर्व अनिश्चिय में फंसे हुए हैँ। कहा जाता है कि बाजार के लिए खराब नीति से भी ज्यादा हानिकारक अनिश्चितता होती है। अमेरिका के शेयर एवं बॉन्ड मार्केट के साथ-साथ डॉलर की कीमत भी इस अस्थिरता का शिकार है।

कुछ घंटों के अंदर फैसलों को पलट देने की भारी कीमत वहां की वित्तीय व्यवस्था को चुकानी पड़ रही है। बड़े निवेशकों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्होंने नहीं सुना कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिकी नीति निर्णय में कभी ऐसी अव्यवस्था रही हो। चूंकि विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिका का प्रमुख स्थान है, इसलिए इस अनिश्चय का नुकसान बाकी देशों को भी हो रहा है।

उधर व्यापार युद्ध का मुकाबला करने को संकल्पबद्ध खड़ा चीन दबाव बढ़ाता जा रहा है। महत्त्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर रोक का निर्णय उसने सोमवार से लागू कर दिया है।

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Pic Credit : ANI

NI Editorial

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