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09-03-2025 Vol 19

ये रास्ता खतरनाक है

cm stalin :  कुछ ही समय पहले कर्नाटक में एक पुस्तक मेले के दौरान तमिल किताबों की बिक्री को लेकर विरोध जताया गया था। उधर हाल ही में एक बस में कन्नड़ और मराठी बोलने को लेकर हिंसा तक हुई। इन सबके सबक क्या हैं?

प्रादेशिक स्वायतत्ता की उपेक्षा संबंधी दक्षिणी राज्यों की कई शिकायतों में दम है, मगर जिस तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन इससे जुड़े सवालों को लेकर माहौल गरमा रहे हैं, उससे उनके इरादे पर शक होना लाजिमी है।

स्टालिन लोकसभा सीटों के संभावित परिसीमन से जुड़ी आशंकाओं, नई शिक्षा नीति संबंधी विवाद, (cm stalin) और हिंदी थोपने की कथित शिकायत को रोजाना के स्तर पर उठा रहे हैं।

इस क्रम में वे अपने राज्य के लोगों को तुरंत अधिक बच्चे पैदा करने की प्रतिगामी सलाह देने की हद तक चले गए हैं। जाहिरा तौर पर केंद्र की कई नीतियों से गहराई शिकायतों में स्टालिन ने अपनी पार्टी डीएमके के लिए अवसर देखा है।

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अभियान हिंदी के खिलाफ (cm stalin)

संकेत साफ हैं कि साल भर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में वे इन्हीं भावनात्मक मुद्दों को लेकर अभियान चलाएंगे। इस क्रम में खासकर भाषा विवाद में निहित खतरों की वे पूरी उपेक्षा कर रहे हैं।

उनका अभियान हिंदी के खिलाफ है- जिसमें उन्होंने हिंदी बोलियों को खा गई जैसा तथ्यहीन दावा भी किया है। (cm stalin) बहरहाल, ऐसे मुद्दे कैसे हालात पैदा कर रहे हैं, इस पर भी उन्हें जरूर ध्यान देना चाहिए।

कुछ ही समय पहले कर्नाटक में एक पुस्तक मेले के दौरान तमिल किताबों की बिक्री को लेकर विरोध जताया गया था। उधर हाल ही में एक बस में कन्नड़ और मराठी बोलने को लेकर हिंसा तक हुई।

सबक क्या है? (cm stalin) स्पष्टतः यही कि पहचान एवं भावनाओं की राजनीति ने देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे मसलों को लेकर भड़काऊ माहौल बना रखा है।

इसकी बड़ी जिम्मेदारी राजनेताओं और राजनीतिक दलों पर जाती है, जिन्हें ऐसे मुद्दों में वोट पाने का आसान रास्ता दिखता है। चूंकि आर्थिक और विकास नीतियों के मामलों में तमाम दलों ने समान रास्ता चुना हुआ है, वैसे में अपनी अलग प्रासंगिकता दिखाने का उन्हें यही सरल उपाय नजर आता है।

लेकिन जन हित और राष्ट्र के व्यापक हित के नजरिए से यह खतरनाक खेल है। (cm stalin) यह अवश्य रेखांकित किया जाना चाहिए कि अगर धार्मिक विभाजन की राजनीति देश के लिए जोखिम भरी है, तो भाषा या जाति के आधार पर चुनावी गोलबंदी कम खतरनाक नहीं है।

NI Editorial

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