cm stalin delimitation : चेन्नई बैठक में घोषणा हुई कि परिसीमन के मुद्दे पर वहां आए दलों का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलेगा। यह उचित अवसर होगा, जब केंद्र वार्ता प्रक्रिया की पहल करे। भारत के संघीय ढांचे की कथित अवहेलना संबंधी अंदेशे दूर किए जाने चाहिए।
राजनीतिक दल जो मुद्दे को उठाते हैं, भले उनको लेकर वे ईमानदार ना हों, मगर उनकी समझ होती है कि ये बड़ी संख्या में लोगों के मन को छू रहे हैं।
परिसीमन विरोध के सवाल पर डीएमके, लेफ्ट, कांग्रेस की दक्षिणी इकाइयां, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी सहित कई पार्टियां इकट्ठी हुईं (cm stalin delimitation)
सपा, जेएमएम, शिवसेना (उद्धव) जैसे दलों ने उनसे सहमति जताई, तो इस मुद्दे की गंभीरता को समझा जाना चाहिए। अतः जरूरी है कि केंद्र इस प्रश्न को नजरअंदाज करने के बजाय बातचीत से इस बारे में फैलते अंदेशों को दूर करे।
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परिसीमन को 25 साल तक टालने की मांग (cm stalin delimitation)
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पहल पर चेन्नई में हुई बहुदलीय बैठक में परिसीमन को 25 साल तक टालने की मांग की गई। घोषणा हुई कि इस मांग को लेकर वहां आए दलों का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलेगा।
यह उचित अवसर होगा, जब केंद्र वार्ता प्रक्रिया की पहल करे। ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि भारत के संघीय ढांचे की कथित अवहेलना की शिकायत विभिन्न हलकों में फैलती चली गई है। (cm stalin delimitation)
इसके कई आयाम हैं। अभी तक सियासी पार्टियों ने जिन मसलों को उठाया है, उनमें ज्यादातर ऐसे हैं, जिनकी जज्बाती अहमियत है। वैसे ठोस रूप में वित्तीय संघवाद की भावना के उल्लंघन की शिकायत भी गहराती चली गई है।
हालिया वित्त आयोगों की सिफारिशों और राज्यों को धन हस्तांतरण में भेदभाव के आरोप लगे हैं। (cm stalin delimitation)
इन शिकायतों का निवारण तुरंत नहीं किया गया, तो देर-सबेर जीएसटी को चुनौती देती हुई आवाजें भी उठ सकती हैं, क्योंकि इस सिस्टम के लागू होने के बाद से संसाधन जुटाने के मामलों में राज्यों के हाथ बंध गए हैँ।
चेन्नई बैठक में एक सुझाव आया कि जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देना लोकतांत्रिक तकाजा है, तो ऐसा विधानसभा सीटों को बढ़ा किया जाए। (cm stalin delimitation)
चूंकि बैठक राज्यों में सत्ताधारी या सत्ता के महत्त्वाकांक्षी दलों की थी, इसलिए ये सुझाव नहीं आया, मगर विचारणीय है कि क्या 73वें और 74वें संविधान संशोधन की भावना के मुताबिक स्थानीय निकायों का सशक्तीकरण व्यवस्था को और जनतांत्रिक स्वरूप नहीं देगा? आज आवश्यकता इस तरह के अभिनव समाधानों पर विचार की है।