Saturday

01-03-2025 Vol 19

ऐसा मत कीजिए

स्वाभाविक सवाल उठा है कि आखिर सरकार निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को अपनी मुट्ठी में क्यों लाना चाहती है? इस प्रयास से तमाम दूसरे मुद्दे भी जुड़े हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल चुनावों की विश्वसनीयता का ही है, जिसकी अवश्य रक्षा की जानी चाहिए।

निर्वाचन आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया संबंधी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय को बदलने का केंद्र सरकार का प्रयास गलत समझ पर आधारित है। संभवतः सरकार इन प्रतिक्रियाओं से वाकिफ हो चुकी होगी कि विपक्ष और सिविल सोसायटी में इसे “अगले चुनावों में धांधली करने की मंशा” का संकेत कहा गया है। सत्ताधारी दल को इस बात को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि जिस तरह न्याय सिर्फ होना पर्याप्त नहीं होता है, बल्कि न्याय होते दिखना भी अनिवार्य माना जाता है, वही बात चुनावों की साख पर भी लागू होती है। चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से हों, यह तो जरूरी है कि लेकिन यह भी आवश्यक है कि सभी लोगों का ऐसा होने में भरोसा बना रहे। जिन देशों में ये भरोसा टूटा है, वहां इसके बहुत गंभीर परिणाम देखने को मिले हैं। 1990 के दशक के बांग्लादेश से लेकर केन्या, जिंब्बावे आदि जैसे देश इसकी मिसाल रहे हैं।

यहां तक कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव की पवित्रता को लेकर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संदेह खड़ा किया, जिसका परिणाण छह जनवरी 2021 को वहां के संसद भवन पर एक बड़ी भीड़ के धावा बोल देने के रूप में सामने आया था। जबकि चुनाव की साख बनी रहती है, तो पराजित पक्ष अपनी हार को सहजता से स्वीकार कर लेता है और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की परंपरा कायम रहती है। ऐसी साख के लिए यह बेहद जरूरी है कि निर्वाचन आयोग और उसमें बैठे अधिकारी संदेह से परे रहें। इसी मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि निर्वाचन आयुक्तों का चयन ऐसी समिति करे, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे। अब सरकार ने जो बिल पेश किया है, उसमें प्रधान न्यायाधीश के लिए जगह नहीं है। उसकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को दी जाएगी। इसलिए यह स्वाभाविक सवाल उठा है कि आखिर सरकार इस नियुक्ति प्रक्रिया को अपनी मुट्ठी में क्यों लाना चाहती है? इस प्रयास से तमाम दूसरे मुद्दे भी जुड़े हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल चुनाव की विश्वसनीयता का ही है, जिसकी अवश्य रक्षा की जानी चाहिए।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *