Wednesday

23-04-2025 Vol 19

घंटी तो बजा दी!

Economy: मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जिस प्रवृत्ति को लेकर आगाह किया है, उससे निकलने का रास्ता क्या है? आखिर इस मुकाम तक हम पिछले साढ़े तीन दशक में अपनाई गई नीतियों की वजह से पहुंचे हैं।

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार की चेतावनी

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आखिरकार अर्थव्यवस्था के मौजूदा स्वरूप को लेकर वह चेतावनी दी है, जिस पर अर्थ जगत में पहले से चिंता रही है। नागेश्वरन ने अर्थव्यवस्था के वित्तीयकरण में निहित खतरों को लेकर आगाह किया है। उन्होंने देश के “वित्तीयकरण के जाल” में फंसने की आशंका जताई है। जब शेयर बाजार का सकल पूंजी मूल्य जीडीपी के 140 प्रतिशत तक पहुंच गया हो, तो समझा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था किस मुकाम पर है। (Economy)

नागेश्वरन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में हो रहे रिकॉर्ड मुनाफे से एक ऐसी परिघटना सामने आई है, जिस पर कड़ी नजर रखनी होगी। उनकी ये बातें खास गौरतलब हैः ‘जब बाजार का आकार अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है, तब यह स्वाभाविक है कि बाजार के हित और उसकी प्राथमिकताएं सार्वजनिक विमर्श पर हावी हो जाती हैं, हालांकि ऐसा होना तार्किक रूप से जरूरी नहीं है। यहां मैं उस परिघटना का जिक्र कर रहा हूं, जिसे वित्तीयकरण अथवा नीति एवं सकल अर्थव्यवस्था के लाभों पर वित्तीय बाजार के वर्चस्व के रूप में जाना जाता है।’ ऐसा होने पर क्या होता है, इसकी चर्चा भी मुख्य आर्थिक सलाहकार ने की है।

also read: भारत में कॉरपोरेट जंग छिड़ी है

नागेश्वरन की ये बातें सोलह आने सच

उनके मुताबिक सार्वजनिक एवं निजी ऋण का अभूतपूर्व ऊंचा स्तर- जिसमें से कुछ ऋण विनियामकों को मालूम है और कुछ नहीं, परिसंपत्तियों की मूल्य वृद्धि पर आर्थिक वृद्धि का निर्भर हो जाना और उसके परिणामस्वरूप गैर-बराबरी में भारी बढ़ोतरी, ये वित्तीय वर्चस्व वाली अर्थव्यवस्था के परिणाम हैं। उन्होंने आगाह किया कि भारत को ऐसे परिणामों से बचने का प्रयास करना चाहिए। नागेश्वरन की ये बातें सोलह आने सच हैं। अर्थव्यवस्था के यह रूप लेने के दुष्परिणाम आज कभी औद्योगिक शक्ति से दुनिया पर अपना दबदबा बनाने वाले विकसित देश भी झेल रहे हैं। मगर सवाल है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जिस प्रवृत्ति को लेकर आगाह किया है, उससे निकलने का रास्ता क्या है? आखिर इस मुकाम तक हम पिछले साढ़े तीन दशक में अपनाई गई नीतियों की वजह से पहुंचे हैं। क्या नागश्वेरन जिस सरकार से जुड़े हैं, उसमें ये दिशा बदलने का बौद्धिक साहस और माद्दा मौजूद है?

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *