Wednesday

23-04-2025 Vol 19

डीपफेक पर लगाम जरूरी

भारत में भी डीपफेक का इस्तेमाल कर ऐसे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सेलिब्रिटी हैं या फिर राजनीति से ताल्लुक रखते हैं। निर्विवाद रूप से यह नई तकनीक का दुरुपयोग है। यह एक तरह की आपराधिक गतिविधि भी है, जिस पर रोक लगाना अनिवार्य है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को इसे रोकने की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।

भारत सरकार के बारे में यह आम धारणा ठोस रूप ले चुकी है कि वह हर माध्यम और संस्था पर अपना शिकंजा कसना चाहती है। एक दूसरी धारणा यह है कि उसकी ऐसी हर कार्रवाई दलगत नजरिए से एकतरफा होती है। यही कारण है कि डीपफेक के बारे में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के लिए उसकी जारी ताजा एडवाइजरी ने कई हलकों में गहरी आशंकाओं को जन्म दिया है। वरना, डीपफेक तकनीक को लेकर चिंताएं सारी दुनिया में हैं। लगभग सभी देशों में आर्टिफिशिलय इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक को विनियमित करने पर विचार हो रहा है। ऐसे में भारत सरकार भी ऐसे कदम उठाए, यह लाजिमी है। लेकिन उसके ऐसे कदम से समाज के एक हिस्से अंदेशे गहरा जाते हैं, तो उसका कारण सिर्फ सरकार का अपना रिकॉर्ड है। बहरहाल, केंद्र ने डीपफेक समस्या को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। उसने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करने की सलाह दी है। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक ए़डवाइजरी जारी कर चुका है।

ताजा एडवाइजरी में मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स को आईटी नियमों के तहत प्रतिबंधित कंटेंट को प्रकाशित ना करने के बारे में जागरूक करना चाहिए। यूजर्स को फर्जी वीडियो, मैसेज या कंटेंट डालने से रोकने का काम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का है। मकसद यह है कि ऐसी गतिविधि से अन्य यूजर्स को नुकसान ना हो। यह बताना भी इन्हीं प्लैटफॉर्म्स का दायित्व है कि आईटी कानून के नियम का पालन नहीं करने पर यूजर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। बीते नवंबर में भी केंद्र ने एक आदेश जारी कर डीपफेक वीडियो की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए कहा था। यह सच है कि दुनिया के कई दूसरे देशों की ही तरह भारत में भी डीपफेक का इस्तेमाल कर ऐसे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सेलिब्रिटी हैं या फिर राजनीति से ताल्लुक रखते हैं। निर्विवाद रूप से यह नई तकनीक का दुरुपयोग है। यह एक तरह की आपराधिक गतिविधि भी है, जिस पर रोक लगाना अनिवार्य है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को इसे रोकने की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।

NI Editorial

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