Wednesday

23-04-2025 Vol 19

राजनीति से प्रेरित कार्रवाई

कांग्रेस के बैंक खाते पर हुई कार्रवाई का उसकी गतिविधियों पर गहरा असर पड़ेगा। क्या आय कर विभाग यही चाहता है? जिस समय विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका पहले से संदिग्ध है, ऐसे सवाल उठना अस्वाभाविक नहीं हैं।

कांग्रेस के खाते का संचालन जिस समय और जिस तरह से रोका गया, उसे पहली नजर में राजनीति से प्रेरित कार्रवाई ही माना जाएगा। यह कार्रवाई इलेक्ट्रॉल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के ठीक अगले दिन की गई। इस निर्णय से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए असहज स्थितियां पैदा हुईं। इससे इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स के जरिए भाजपा को असामान्य रूप से मिले अधिक चंदे और उसके स्रोत का मुद्दा चर्चा में आया। उसके ठीक अगले दिन देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी पर ऐसी कार्रवाई के मकसद पर सहज ही संदेह खड़ा हुआ। सवाल उठा कि क्या इसके जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि विपक्ष के चंदे में भी घपला है? आय कर विभाग की इस कार्रवाई के तथ्यों पर ध्यान देना जरूरी है। यह कदम 2018-19 में कांग्रेस को मिले चंदे के सिलसिले में यानी अब पांच साल बाद उठाया गया है। तब पार्टी तय तारीख (31 दिसंबर 2019) तक इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं करा पाई। उसने 45 दिन देर से इसे जमा कराया।

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रिटर्न में पार्टी ने बताया कि गुजरे साल में 199 करोड़ रुपये का चंदा उसके बैंक खाते में आया, जबकि 14 लाख 40 हजार रुपये उसके पास नकदी में हैं, जो उसे पार्टी सांसदों और विधायकों से मिले हैं। आय कर विभाग ने नकदी रकम को विसंगति (डिस्क्रेपैंसी) बताया है, जबकि 45 दिन की हुई देर को लेकर 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया है। यह कार्रवाई लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले हुई है। खाते के संचालन पर रोक को जब कांग्रेस ने अपीलीय पंचाट में चुनौती दी, तो पंचाट ने खाते के संचालन से रोक तो हटा दी, लेकिन शर्त लगा दी कि कांग्रेस को 155 करोड़ रुपये खाते में रखने होंगे। पार्टी के मुताबिक उसके पास इसके अतिरिक्त रकम नहीं है। यानी व्यावहारिक रूप में वह खाते का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। जाहिर है, पार्टी की गतिविधियों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। क्या आय कर विभाग का यही मकसद है? जिस समय विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका पहले से संदिग्ध है, ऐसे सवाल उठना अस्वाभाविक नहीं हैं।

NI Editorial

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