Thursday

24-04-2025 Vol 19

ढाका से लेगोस तक

बांग्लादेश से नाईजीरिया तक लाखों लोग सड़कों पर उतरे हैं। इन घटनाओं से संदेश मिला है कि जिन नीतियों पर वर्षों में सत्ता प्रतिष्ठानों ने अमल किया, साधारण जनता उनसे बुरी तरह प्रभावित हुई है। उसकी नाराजगी अब अलग-अलग रूपों में व्यक्त हो रही है।

तब अमेरिका अपनी भू-राजनीतिक कामयाबी और सैनिक शक्ति के चरमोत्कर्ष पर था। सोवियत संघ के विखंडन और प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिकी सैनिक शक्ति के चकाचौंध प्रदर्शन ने एकध्रुवीय दुनिया के निर्माण की नींव डाल दी थी। अमेरिकी शासक वर्ग और मीडिया इसके सुखबोध में थे। उसी माहौल में 1992 का राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें एक नवोदित नेता ने उस राष्ट्रपति- एचडब्लू बुश- को हरा दिया, जिनकी सदारत में अमेरिका को उपरोक्त उपलब्धियां हासिल हुई थीं। इस घटनाक्रम को समझने की माथापच्ची में जुटे पत्रकारों ने जब ये सवाल विजयी डेमोक्रेट बिल क्लिंटन से पूछा, तो उन्होंने कहा- इट्स इकॉनमी, स्टूपिड (यह अर्थव्यवस्था है, मूर्खों)। हकीकत यह थी कि जब अमेरिका रणनीतिक सफलताओं के शिखर था, उसी समय अर्थव्यवस्था संबंधी मुश्किलों से आम जन की परेशानियां बढ़ी थीं। बांग्लादेश से लेकर नाईजीरिया तक में आज जो उथल-पुथल है, उसे समझने में क्लिंटन वो कथन मददगार हो सकता है। बांग्लादेश में जन-विद्रोह के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश से भागना पड़ा है, जबकि नाईजीरिया की राजधानी लेगोस में लाखों सड़कों पर उतरे हैं। महीना भर पहले ऐसा ही नज़ारा केन्या में दिखा था। उन दोनों देशों में खर्च घटाने की सरकारी नीति से त्रस्त लोग सड़कों पर उतरे और दोनों जगहों पर सरकारों को कुछ कदम वापस खींचने पड़े।

शेख हसीना अपनी राह चलती रहीं, जो आखिरकार उन्हें देश से बाहर ले गई! श्रीलंका में ऐसा ही घटनाक्रम दो साल पहले हुआ था। पाकिस्तान में उथल-पुथल का दौर लंबा हो चुका है। वैसे देखें, तो इस वक्त विकसित देशों में जो अशांति और अस्थिरता है, उसके पीछे भी महंगाई और बढ़ती अवसरहीनता को देखा जा सकता है। भारत में यह असंतोष हाल के आम चुनाव में अलग रूप में व्यक्त हुआ। संदेश यह है कि जिन नीतियों पर हाल के वर्षों में सत्ता प्रतिष्ठानों ने आम सहमति से अमल किया, साधारण जनता उनसे बुरी तरह प्रभावित हुई है। उसकी नाराजगी अब अलग-अलग रूपों में सामने आ रही है। हसीना ने इस नाराजगी के जाहिर होने के सबसे सशक्त माध्यम- यानी चुनाव को- अवरुद्ध कर दिया। तो लोगों ने अपने ढंग से उसे जताया है।

NI Editorial

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