Wednesday

23-04-2025 Vol 19

आरोप और जवाबी आरोप

चुनावों के स्वतंत्र या निष्पक्ष रहने को लेकर विपक्षी दलों के मन में संदेह गहराता चला गया है। मगर उसको लेकर कोई एकजुट रणनीति बनाने या जन-जागरूकता के अभियान में जुटने की बात उनके दिमाग में नहीं आई है।

राहुल गांधी फिर विदेश में हैं और वहां उन्होंने देश के हालात के बारे में बयान दिए हैं। फिर भाजपा ने उसको लेकर उन पर हमले किए, जो मेनस्ट्रीम मीडिया में तीखी बहस का मुद्दा बना है। अब यह एक पैटर्न बन चुका है। भाजपा का पहला मुद्दा यह होता है कि विपक्ष के नेता ने विदेश की धरती पर जाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश की। इस पर कांग्रेस का जवाब भी चिर-परिचित है।

राहुल गांधी का बयान, भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया

वो यह कि ये सिलसिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया। जब विवाद छिड़ता है, तो कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल्स मोदी के विभिन्न देशों में दिए पुराने भाषणों के अंश साझा करने लगते हैं, जिनमें मोदी अपने शासनकाल से पहले के भारत को लांछित करते सुने जाते हैं।

फिलहाल गांधी अमेरिका में हैं। वहां उन्होंने आरोप लगाया कि भारत का निर्वाचन आयोग निष्पक्ष नहीं रह गया है। अपनी बात की पक्ष में उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के पिछले चुनाव का उल्लेख किया। वहां मतदाता सूची में हेरफेर और मतदान के आखिरी दो घंटों में दर्ज मतदान की संख्या में असामान्य (उनके शब्दों में कहें तो व्यावहारिक रूप से असंभव) बढ़ोतरी का इल्जाम लगाया। ऐसा नहीं है कि ये बातें उन्होंने पहली बार कही हों। मगर भाजपा का मुद्दा यह है कि ऐसा उन्होंने विदेश की धरती पर जाकर ऐसा कहा। भाजपा का जवाब वही है, जो गांधी के भारत में लगाए गए आरोप पर रहा है।

तो साफ है कि ना तो आरोप में कुछ नया है, ना कोई नया जवाब है। फिर भी माहौल गरमाया है। यह आज की भारतीय राजनीति में बने गतिरोध का सूचक है। चुनावों के स्वतंत्र या निष्पक्ष रहने को लेकर विपक्षी दलों के मन में संदेह गहराता चला गया है। मगर उसको लेकर कोई एकजुट रणनीति बनाने या जन-जागरूकता के किसी अभियान में जुटने की बात उनके दिमाग में नहीं आई है। सारी बातें सोशल मीडिया या अधिकतम मेनस्ट्रीम मीडिया तक सीमित रह जाती हैं। सत्ता पक्ष के लिए सुविधाजनक स्थिति है। मगर मीडिया पर गरमाहट बनाए रखने में वह जुटा रहता है, ताकि जो गोलबंदी उसने की है, वह कायम रहे।

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Pic Credit: ANI

NI Editorial

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