वाराणसी के पीठों का लोलार्कदित्य स्थान
शतपथ ब्राह्मण और महाभारत में भी लोलार्क का उल्लेख है। स्कन्द पुराण के काशी खण्ड, शिव रहस्य, सूर्य पुराण और काशी दर्शन में विस्तार से लोलार्क माहात्म्य का वर्णन अंकित है। मान्यतानुसार सूर्य के रथ का पहिया भी कभी यहीं गिरा था, जो एक कुंड के रूप में विख्यात हुआ। मान्यतानुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन सूर्य की किरणें इस कुंड के जल को अत्यन्त प्रभावी बना देती हैं। इस दिन इस कुंड में स्नान करने से लोलार्केश्वर महादेव प्रसन्न होकर सन्तान प्राप्ति की कामना रखने वाले दम्पतियों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। 9 सितम्बर -लोलार्क कुंड...