‘गुलाग आर्किपेलाग’ से दुनिया सिहर गई थी
स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024 में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...