Russia

  • बैलेस्टिक मिसाइल दाग कर रूस ने यूक्रेन को डराया

    कीव। यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस ने उसके निप्रो शहर पर गुरुवार की सुबह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम से हमला किया। खबरों के मुताबिक, ये हमले अस्त्राखान इलाके से किए गए। हालांकि रूस ने आईसीबीएम मिसाइल से हमले की पुष्टि नहीं की है। माना जा रहा है कि रूस ने बिना परमाणु हथियार वाले बैलेस्टिक मिसाइल से हमला करके यूक्रेन को डराया है क्योंकि यूक्रेन ने अमेरिकी मंजूरी के बाद लंबी दूरी की मिसाइल से रूस पर हमला किया था। बहरहाल, एक अमेरिकी न्यूज चैनल ने पश्चिमी देशों के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि यूक्रेन...

  • करीब आता विश्व युद्ध

    world war: रूस ने अपनी तरफ से परमाणु अस्त्र ना दागने की वचनबद्धता खत्म कर दी है। इसकी जगह अब प्रावधान किया है कि जब रूस “नाटो के हमलों” से खुद को खतरे में पाएगा, वह अपनी तरफ से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा। also read: झारखंड में आखिरी चरण की 38 सीटों पर 67.59 फीसदी मतदान तीसरा विश्व युद्ध दुनिया के और करीब इस हफ्ते की दो घटनाओं ने तीसरे विश्व युद्ध को दुनिया के और करीब ला दिया है। पहले अमेरिका में निवर्तमान जो बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ एटीएसीएमसी मिसाइलों के इस्तेमाल का अधिकार दे...

  • आंखों के आगे इतिहास!

    हां, आंखों देखा इतिहास! ऐतिहासिक मोड़ पर है मौजूदा सिरमौर सभ्यता अमेरिका। वह इस सप्ताह अपने हाथों अपनी सभ्यता का इतिहास बनाएगी। अमेरिकी मतदाता तय करेंगे कि वे अपने सभ्यतागत मूल्यों और सांचे की निरंतरता में कमला हैरिस को जिताते हैं या वैयक्तिक तानाशाही जिद्द वाले डोनाल्ड़ ट्रंप को जिताते हैं। डोनाल्ड ट्रंप का अर्थ अमेरिका में विभाजन, संस्थाओं के पतन की गारंटी है। और जब कोई सभ्यता घर में विभाजित होती है तो उसकी ताकत, एकता, बुद्धि सब धरी रह जाती है। दो खेमों में विभाजित देश फिर धर्म, नस्ल, धन और अहंकार की आपसी लड़ाई का अखाड़ा होता...

  • मोदी ने मदद की पेशकश की

    कजान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन की जंग समाप्त कराने में मदद करने की पेशकश की है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात में मोदी ने कहा कि जंग समाप्त कराने के लिए भारत हर तरह की मदद करने को तैयार है। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि भारत शांति का पक्षधर है और किसी भी समस्या का समाधान य़ुद्ध से नहीं, बल्कि बातचीत से ही संभव है। गौरतलब है कि ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी रूस के शहर कजान पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को कजान पहुंचे, जहां उन्होंने ब्रिक्स सम्मेलन...

  • ‘गुलाग आर्किपेलाग’ से दुनिया सिहर गई थी

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • पश्चिम को चुभता कांटा

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • रूस जल्द करेगा हाइड्रोजन-संचालित जहाज का परीक्षण

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मोदी यूक्रेन-रूस युद्ध में क्या कर सकते है?

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • रूस पर यूक्रेन का सबसे बड़ा हमला

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • जेलेंस्की की लोकप्रियता घट रही!

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • युद्ध अब नाजुक मोड़ पर!

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • बाइडेन के बाद पुतिन से मोदी ने बात की

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मोदी यूक्रेन में क्या करेंगे?

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मास्को से टोक्यो तक

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • अफरातफरी और बहुधुरी की दुनिया

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • अमेरिका के बयान पर भारत ने जताई नाराजगी

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • हताशा का ये आलम

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मास्को यात्रा का सार

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मोदी-पुतिन विवाद की खबरों पर सफाई

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

  • मोदी को रूस का सर्वोच्च सम्मान

    स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं! यह सब यूरोपीय बुद्धिजीवियों को बिलकुल पता न था। वे केवल 1930 के दशक में रूस में दिखावटी मुकदमों के द्वारा मारे गये नेताओं, लेखकों, आदि 'द ग्रेट पर्ज' वाली कुख्यात बातें ही जानते थे। क्योंकि उन में मारे गए अधिकांश लोग रूसी बुद्धिजीवी ही थे।(यह लेख प्रोफेसर गैरी साउल मॉरसन द्वारा जून 2024  में लिखी गई समीक्षा 'द मास्टरपीस ऑफ अवर टाइम' पर आधारित है।) 'गुलाग आर्किपेलाग' की विरासत - 1 आज से पचास वर्ष पहले, रूसी लेखक अलेक्सांद्र सोल्झेनित्सिन का महान ग्रंथ 'गुलाग...

और लोड करें