Poverty

  • गरीबी के मारे भारतीय

    poverty: सार यह कि भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी गरीबी का मारा है। जबकि गरीबी मापने का विश्व बैंक का पैमाना खुद आलोचनाओं के केंद्र में रहा है। अनेक विशेषज्ञों ने इसे अति न्यूनतम पैमाना बताया है। also read: बहराइच हत्याकांड के दो आरोपी पुलिस मुठभेड़ में घायल भारत पर चरम गरीबी का पैमाना 6.85 डॉलर विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में माना है कि 2020 (यानी कोरोना काल) के बाद से भारत सहित दुनिया में गरीबी घटने की प्रक्रिया ठहर गई है। बैंक का ताजा आकलन है कि भारत में इस समय 12 करोड़ 90 लाख लोग...

  • ग्लोबल रैंकिंग्स में भारत

    मोदी सरकार को विश्वसनीय आंकड़ों से खास गुरेज है। दशकीय जनगणना तक उसकी प्राथमिकता में नहीं है, तो आंकड़ों के प्रति उसके अपमान भाव को सहज ही समझा जा सकता है। जबकि ऐसे आंकड़े सामने हों, तो रैंकिंग्स का सच-झूठ खुद जाहिर हो जाएगा।   पिछले हफ्ते ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी हुआ। हर साल की तरह भारत में यह राजनीतिक विवाद का मुद्दा बना। हालांकि इस बार भारत की रैंकिंग में कुछ सुधार दिखा- भारत 111वें से 105वें स्थान पर चला आया- मगर यह रैंक भी बहुत नीचे है, इसलिए यह इंडेक्स नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने का फिर से औजार...

  • अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ है

    देश की अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ी है और इसे समझने के लिए बड़ा अर्थशास्त्री होने की जरुरत नहीं है। सिर्फ हाल की कुछ खबरों को एक साथ रख कर देखा जाए तब भी यह अंदाजा हो जाता है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। अन्यथा ऐसा नहीं होता कि मुनाफे का ढोल पीट रहे तमाम बैंकों के परेशान होने की खबर आए और शेयर बाजार में उछाल जारी रहे। या चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर अनुमान से कम रहे और रिजर्व बैंक के गवर्नर को कहना पड़े कि...

  • हाल इतना बदहाल है!

    देश में लगभग 42 फीसदी आबादी इस हाल में नहीं है कि वह तीनों वक्त भोजन कर सके। इन लोगों को सुबह के नाश्ते या दोपहर और रात के भोजन में से किसी एक को छोड़ पड़ रहा है। कुछ समय पहले घरेलू उपभोग खर्च सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। यह सर्वे भारत सरकार की तरफ से कराया जाता है, इसलिए इससे सामने आए आंकड़ों को कम-से-कम आधिकारिक रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। आम चुनाव के प्रचार के समय उस सर्वे के कुछ सुविधाजनक आंकड़ों को खुद भारत सरकार ने प्रचारित किया था। लेकिन उसी रिपोर्ट में...

  • गलत दवा से इलाज

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • चांद लाने जैसी बात

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • महंगाई कम दिखाने का नायाब नया तरीका

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • भारतः अरबपति राज का उदय

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • हममें इंसानियत खत्म होती जा रही!

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • यह खुशहाली तो नहीं

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • चुनावी मकसद से चर्चा?

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  • भारत की दो हकीकतें

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  • पांच वर्ष में 13.5 करोड़ भारतीय गरीबी मुक्त

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • भारतः सब कैसा एक्स्ट्रीम!

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  • कार्यबल में घटती महिलाएं

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • गरीबी, बेरोजगारी बरदाश्त करने की अंतहीन सीमा!

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • ताजा तीन इंडेक्स का भारत सत्य

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  • अब प्रश्न औचित्य का

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  • भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

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