कानून का ये हाल!
साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...