population

  • भारत के सामने जनसंख्या घटने का खतरा नहीं है

    भारत के सामने बहुत सारे खतरे हैं। सामाजिक विभाजन बढ़ रहा है, आर्थिक असमानता बढ़ रही है, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत खराब स्थित है, पर्यावरण का बड़ा संकट मंडराता दिख रहा है लेकिन तमाम खतरों में Population कम होना कोई खतरा नहीं है। भारत के सामने कम से कम अगले सौ साल तक जनसंख्या घटने का खतरा नहीं है। दक्षिण कोरिया में जरूर संकट आया हुआ है क्योंकि वहां युवा शादियां नहीं कर रहे हैं और शादी कर रहे हैं तो बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं। तभी यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि धरती पर...

  • डेटा ही तो दिक्कत है!

    population census: आम तजुर्बा है कि मौजूदा सरकार को आंकड़ों की पारदर्शिता पसंद नहीं है। वरना, यह समझना मुश्किल है कि भारत में अब तक दशकीय जनगणना क्यों नहीं हुई, जबकि कोविड-19 महामारी का साया हटे लंबा अरसा गुजर चुका है। केंद्र ने जब कुछ महीने पहले सांख्यिकी स्थायी समिति बनाई, तो उसमें शामिल 14 विशेषज्ञों में से कुछ नामों को देख कर आश्चर्य हुआ था। खास कर यह देख कर हैरत हुई कि समिति की अध्यक्षता प्रणब सेन को सौंपी गई है, जिनकी छवि आंकड़ों के प्रति ईमानदारी बरतने की रही है। बताया गया कि समिति राष्ट्रीय सैंपल सर्वे...

  • चांद लाने जैसी बात

    चंद्र बाबू नायडू ने नायाब फॉर्मूला दिया है। सीआईआई) के एक समारोह में उन्होंने कहा कि अगर देश के सबसे धनी 10 फीसदी लोग सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों को “गोद” ले लें, तो समस्या खुद हल हो जाएगी! गरीबों को पहले तो चंद्र बाबू नायडू का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने उनके वजूद से इनकार नहीं किया। जिस दौर में नीति आयोग जैसी सरकारी संस्थाओं और सरकार प्रायोजित विशेषज्ञों के बीच होड़ गरीबी का प्रतिशत कम-से-कम बताने की लगी हो, उन्होंने इतना तो माना कि भारत में लगभग 20 फीसदी आबादी अभी गरीबी रेखा के नीचे है। यह बात...

  • World Population Day 2024: आज है विश्व जनसंख्या दिवस , क्या है इसे मनाने का कारण..

    World Population Day 2024: विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day)मनाने का महत्वपूर्ण कारण है कि लोगों को जागरूक करना. विश्व जनसंख्या दिवस हमें तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या एक बहुते बड़ा मुद्दा है. जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है. 2023 के अनुमान के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1.4 अरब के करीब है और जनसंख्या तेजी से बढ़ती ही जा रही है. और 2030 तक भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश बनने की संभावना...

  • योग के युग में!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • चुनाव के बीच आबादी का विवाद

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • चीन में घटती आबादी, बढ़ते बुढ़े!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • आबादी को समस्या न माने उस पर सही विमर्श हो!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • सबसे बड़ी आबादी बिना गिनती के!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • सर्वाधिक आबादी की चुनौती

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • भारत का ऐसे बड़ा होना अशुभ!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • विकास से उपजी समस्या

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

  • 140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा। ब्रिटिश जर्नल लासेंट के मुताबिक साल 2000 में भारत में निष्क्रिय श्रेणी में आने वाली वयस्क आबादी का प्रतिशत 22.3 था, जो 2022 में 49.4 हो गया। जिस दौर में योग (वास्तव में योगासन) को सरकारी तौर पर ‘राष्ट्रीय कर्म’ बना दिया गया है, उस समय यह खबर कौतुक पैदा करती है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी तंदुरुस्त नहीं है। और ऐसा पोषण संबंधी किसी अभाव या महामारी की चपेट में आने के कारण नहीं है। बल्कि इसकी वजह है लोगों की...

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