political economy

  • सियासी स्थिरता हुई पर जमीनी असंतोष का क्या करेंगे?

    अब ‘निरंतरता’ और ‘स्थिरता’ का भाजपा का दावा अधिक विश्वसनीय मालूम पड़ सकता है। जो स्थितियां सामने हैं, उनके आधार पर कहा जा सकता है कि चार जून को जो झटके लगे और उनसे अस्थिरता के जो अंदेशे पैदा हुए, उन्हें लगभग ‘मैनेज’ कर लिया गया है। एनडीए के भीतर एक पार्टी जैसी सुगम्यता कायम करने में सत्ता पक्ष के सूत्रधारों को सफलता मिल गई है। तो अब असल जिज्ञासा इस को लेकर ही होनी चाहिए कि ये सूत्रधार कौन हैं? लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके रणनीतिकारों ने सुनियोजित ढंग से...