भारत एक ‘गप्पी गाय’ है
हमारे नेता नियमित रूप से प्रोपेगंडा, उपदेश, दिखावे, आदि करते रहते हैं। जबकि वास्तव में ताउम्र गद्दीनशीनी और तरह-तरह से दोहन की फिक्र में रहते हैं। यह स्वतंत्र भारत में शुरू से ही स्थापित मॉडल बन चुका है। सामान्य राजकाज अफसरों पर छोड़ा रहता है, जो उसे अपनी स्थिति, प्रवृत्ति और अवसरवादिता से जैसे-तैसे चलाते हैं। विभिन्न दलों और नेताओं में यही आम नमूना है। जो भी अंतर, वह मात्र डिग्री व रूप का है। इसलिए क्योंकि भारत के नेता ही किसी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। और हमें 'गप्पी गाय' की उपाधि चीनी नेता माओ ने दी थी। पड़ोसी...