तुर्की में मुल्ले-मौलवियों का खात्मा और गांधी का स्यापा
मुस्तफा कमाल का स्पष्ट विचार था कि मजहब देश की आत्मा को जकड़ कर उसे फलने-फूलने से रोकता है। मुस्तफा कमाल के शब्दों में, "पाँच सौ सालों से एक अरब शेख के नियमों मान्यताओं तथा उन पर पीढ़ियों से मुल्लों की व्याख्याओं ने तुर्की के सारे कानून निर्धारित किये। उन लोगों ने हर तुर्क का जीवन, खान-पान, सोने-जागने का समय, पोशाक, जच्चे-बच्चे के रुटीन, शिक्षा, रीति-रिवाज, विचार, यहाँ तक कि उस के जीवन की महीन तफसील तक तय की है।" और यह सब बोझ है। जब मुस्तफा कमाल ने खलीफत खत्म की!-1 'खलीफा' दुनिया के मुसलमानों के सर्वोच्च मजहबी-राजनीतिक प्रमुख...