Maratha Reservation

  • आरक्षण पर घिरे फड़नवीस की इस्तीफे की पेशकश

    मुंबई। मराठा आरक्षण के मसले पर घिरे महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ऐसा कहते हैं कि उनकी वजह से मराठा आरक्षण रूका है तो वे इस्तीफा देने और राजनीति छोड़ने को तैयार हैं। असल में मराठा आरक्षण आंदोलन का अगुवाई करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने दावा किया था कि फड़नवीस की वजह से मराठा आरक्षण का मामला अटक गया। मनोज जरांगे पाटिल के आरोप पर फड़नवीस ने सोमवार, 19 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- अगर सीएम एकनाथ शिंदे मुझे आरक्षण में बाधा...

  • मराठा आरक्षण पर फिर झुनझुना

    महाराष्ट्र में ऐसा लग रहा है कि महायुति यानी शिव सेना, भाजपा और एनसीपी की सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि मराठा आरक्षण के आंदोलन को कैसे हैंडल करें। इसलिए वह अंधेरे में तीर चला रही है। याद करें मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के समय राज्य सरकार ने क्या किया था? मनोज जरांगे का आंदोलनकारी जत्था नवी मुंबई तक पहुंच गया था और मुंबई में प्रवेश करने वाला था तब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक अध्यादेश की कॉपी लेकर उनके पास गए थे, जिसमें ओबीसी में मराठों को शामिल करके उनको आरक्षण देने का प्रावधान...

  • फिर शुरू होगा मराठा आरक्षण आंदोलन

    मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने भले मराठाओं को 10 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक विधानसभा से पास करा दिया है लेकिन आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने इससे असहमति जताई है और फिर से आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने 24 फरवरी को फिर से राज्य में आंदोलन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा यह सरकार निजाम और अंग्रेजों से भी बुरी है। इसलिए इस बार बच्चे और बुजुर्ग भी आंदोलन में शामिल होंगे। अगर एक भी बुजुर्ग की मौत होती है तो सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी। यह भी पढ़ें: मराठा आरक्षण पर फिर...

  • मराठा आरक्षण के बावजूद

    मुद्दा यह है कि क्या आरक्षण से गरीबी या शैक्षिक पिछड़ेपन की समस्या दूर हो जाएगी? क्या ऐसा पहले से आरक्षण प्राप्त समुदायों में हो गया है? तमाम अध्ययन और अनुभव बताते हैं कि ऐसा नहीं हुआ है। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए विधानसभा से विधेयक पारित करा लिया है। यह प्रावधान इस रूप में किया गया है, जिससे ओबीसी समुदाय नाराज ना हो। मराठा संगठन ओबीसी श्रेणी के अंदर आरक्षण मांग रहे थे, लेकिन राज्य सरकार ने उनके लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान किया है। इस तरह ये आरक्षण 50 प्रतिशत की उस...

  • जातीय टकराव की ओर?

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • मराठा आरक्षण आंदोलन समाप्त

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • आरक्षण की आग में जलता महाराष्ट्र

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • सभी पार्टियां मराठा आरक्षण के पक्ष में

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • मराठा आरक्षण के समर्थन में 13 खुदकुशी

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • मराठा आरक्षण क्या पवार का दांव?

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • मराठा आरक्षण का सवाल

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

  • महाराष्ट्र सरकार ने आंदोलनकारियों से माफी मांगी

    महाराष्ट्र में जातीय तनाव की आशंका फिर सुलग उठी है। दरअसल, जिन मुश्किलों की वजह कृषि का अलाभकारी होना, रोजगार का अभाव और शिक्षा का गिरता स्तर है, उनका हल कहीं और ढूंढने की कोशिश ऐसी ही स्थिति को जन्म दे सकती है। यह तो साफ है कि आरक्षण अब सामाजिक न्याय या पिछड़े तबकों के लिए प्रगति का रास्ता खोलने वाली नीति से ज्यादा एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मुद्दा रह गया है। जब ऐतिहासिक रूप से जातीय आधार पर वंचित ना रहे तबके भी आरक्षण मांगने लगें और सरकारें उस मांग को स्वीकार भी करने लगें, तो यही कहा...

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