मनुस्मृति लहराने का नुकसान होगा
सिर्फ संविधान लहराने से काम नहीं चला है तो राहुल गांधी अब मनुस्मृति लहराने लगे हैं। वे संविधान पर चर्चा के दौरान संसद में मनुस्मृति लेकर पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेताओं के वैचारिक पूर्वज यानी विनाय़क दामोदर सावरकर संविधान को नहीं मानते थे। वे कहते थे कि संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। वे मनुस्मृति को मानते थे। हालांकि उसी सदन में शिव सेना के सांसद श्रीकांत शिंदे ने सावरकर की सौवीं जयंती के मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लिखी एक चिट्ठी पढ़ कर सुनाई, जिसमें उन्होंने सावरकर को भारत का महान सपूत बताया था...