Madhya Pradesh assembly election 2023

  • काटे नहीं कटते ये दिन ये रात

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 17 नवंबर को मतदान हो चुका है और 3 दिसंबर को परिणाम आएगा इस लंबे अंतराल को लेकर हर जगह बेसब्री का आलम है उम्मीदवार के समर्थक जहां स्ट्रांग रूम की सुरक्षा कर रहे हैं वही अधिकांश उम्मीदवार धार्मिक स्थान पर माथा टेक रहे हैं आज शाम को एग्जिट पोल के नतीजे भी आएंगे तो दो दिन इसी की बहस में काटे जाएंगे क्योंकि सभी को परिणाम का इंतजार है। दरअसल छोटी-छोटी बातों पर जिज्ञासा रखने वाले मानव स्वभाव के लिए यह बहुत कठिन हो जाता है जब बड़े फैसले के लिए...

  • सेफ जोन में या फिर ‘हनुमान भक्त नाथ’ ओवर कॉन्फिडेंट…

    भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नाथ कमलनाथ के इर्द-गिर्द सिर्फ चुनाव ही नहीं पार्टी की राजनीति भी घूम रही है.. चाहे फिर वह पार्टी हाई कमान.. राहुल प्रियंका ही क्यों ना हो या फिर सिंधिया के जाने के बाद दिग्विजय सिंह समेत दूसरे छत्रप सभी नाथ शरणम गच्छामि नजर आते हैं.. सब ने कसम खा ली एक बार फिर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाना है.. टिकट वितरण में हाई कमान नतमस्तक तो भविष्य की कांग्रेस की जमावट में रुचि ले रहे दूरदर्शी दिग्गी राजा पर भी फिलहाल कमलनाथ ही भारी देखे जा सकते.. फिर भी सवाल टिकट वितरण में बंदर...

  • गुजरात फार्मूले से एम पी में यू टर्न.. या दूर दृष्टि..!

    भोपाल। भाजपा के सशक्त राष्ट्रीय नेतृत्व के चुनावी फैसलों से कभी सारे घर के बदल डालो गुजरात फार्मूले की खूब चर्चा रही.. तो कभी परिस्थितियों जन्म समझौते कर राज्यों से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अपने निर्णय से मोदी और शाह की जोड़ी ने खूब चौंकाया.. गुजरात में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री से लेकर उम्मीदवारों में एक झटके से बड़ा बदलाव यदि सफलता के साथ जीत की गारंटी साबित हुआ .. तो हिमाचल से ले कर कर्नाटक में भाजपा की रणनीति पर सवाल भी खड़े हो चुके हैं.. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के चुनाव में मध्य...

  • दिल्ली दखल से रोचक दंगल की ओर बढ़ता प्रदेश

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों में दिन प्रतिदिन दिल्ली का दखल बढ़ता जा रहा है। प्रदेश से फीडबैक के आधार पर पार्टी हाई कमान निर्णय ले रहा है और जिस तरह से कई बार पैटर्न बदलकर क्वेश्चन पेपर आता है ठीक उसी तरह इस बार पैटर्न बदलकर चुनाव लड़ा जा रहा है। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस हर हाल में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए जोड़-जोड़ कर रहे हैं। अभी तक प्रदेश नेतृत्व अपनी रणनीति के अनुसार चुनाव लड़ता आया है लेकिन 2018 की विधानसभा चुनाव परिणाम से सबक लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व बहुत पहले से सतर्क...

  • जीत की गारंटी ‘मोदी’ हार का ठीकरा किसके सिर…!

    भोपाल। जंबूरी मैदान में आयोजित भाजपा महाकुंभ के सहभागी बने पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख मोदी ने बखूबी मतदाता और नेतृत्व के बीच की अहम और निर्णायक कड़ी को खूब साधा .. लेकिन उन्होंने जाने अनजाने या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सोची समझी रणनीति के तहत मंचासीन नेताओं के महत्व को नजरअंदाज कर पार्टी के अंदर और बाहर एक नई बहस जरूर छेड़ दी.. जीत की गारंटी नरेंद्र मोदी लेकिन कोई चूक हुई तो फिर हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा.. क्योंकि भाजपा ने शिवराज के मुख्यमंत्री रहते इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने...

  • आचार संहिता के पहले अनुकूलता

    भोपाल। जंबूरी मैदान में आयोजित भाजपा महाकुंभ के सहभागी बने पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख मोदी ने बखूबी मतदाता और नेतृत्व के बीच की अहम और निर्णायक कड़ी को खूब साधा .. लेकिन उन्होंने जाने अनजाने या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सोची समझी रणनीति के तहत मंचासीन नेताओं के महत्व को नजरअंदाज कर पार्टी के अंदर और बाहर एक नई बहस जरूर छेड़ दी.. जीत की गारंटी नरेंद्र मोदी लेकिन कोई चूक हुई तो फिर हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा.. क्योंकि भाजपा ने शिवराज के मुख्यमंत्री रहते इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने...

  • सागर में सामाजिक समरसता का महाकुंभ

    भोपाल। जंबूरी मैदान में आयोजित भाजपा महाकुंभ के सहभागी बने पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख मोदी ने बखूबी मतदाता और नेतृत्व के बीच की अहम और निर्णायक कड़ी को खूब साधा .. लेकिन उन्होंने जाने अनजाने या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सोची समझी रणनीति के तहत मंचासीन नेताओं के महत्व को नजरअंदाज कर पार्टी के अंदर और बाहर एक नई बहस जरूर छेड़ दी.. जीत की गारंटी नरेंद्र मोदी लेकिन कोई चूक हुई तो फिर हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा.. क्योंकि भाजपा ने शिवराज के मुख्यमंत्री रहते इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने...

  • ‘कांग्रेस आएबे बारी है, भाजपा जाएबे बारी है’

    भोपाल। जंबूरी मैदान में आयोजित भाजपा महाकुंभ के सहभागी बने पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख मोदी ने बखूबी मतदाता और नेतृत्व के बीच की अहम और निर्णायक कड़ी को खूब साधा .. लेकिन उन्होंने जाने अनजाने या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सोची समझी रणनीति के तहत मंचासीन नेताओं के महत्व को नजरअंदाज कर पार्टी के अंदर और बाहर एक नई बहस जरूर छेड़ दी.. जीत की गारंटी नरेंद्र मोदी लेकिन कोई चूक हुई तो फिर हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा.. क्योंकि भाजपा ने शिवराज के मुख्यमंत्री रहते इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने...

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