kamla harris

  • ट्रंप का अचंभा, अमेरिका पर सवाल!

    क्या अमेरिका के लिए दुःख है? बिलकुल नहीं। ट्रंप और अमेरिका दोनों को वह मिला है जिसके वे लायक थे। जैसे हमें वह मिला है जिसके हम लायक हैं।  डोनाल्ड ट्रंप की इतनी शानदार वापिसी क्यों और कैसे हुई? यह सवाल अचंभे, बल्कि सदमे का सोर्स बना रहेगा। लोगों को रह-रहकर सताता रहेगा। इससे एक कदम और आगे बढ़कर, लंबे समय तक सभी को अमेरिकियों की मानसिकता, उनकी बुद्धिमत्ता और नैतिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाने का मौका मिलेगा। भला अमेरिकी कब से इतने सिद्धान्तहीन, नैतिकताविहीन है! अमेरिका ने ट्रंप को असाधारण जीत दी है। वे पिछले दो दशकों में पहले रिपब्लिकन...

  • भारत और अमेरिकी चुनाव में समानता!

    वहां के माहौल और हमारे देश में हाल में हुए आमचुनाव में एक चीज़ समान है - और वह है डर, खौफ। ....अमेरिकी चुनाव भी पिछली गर्मियों में हुए भारतीय चुनाव जितने ही विभाजनकारी हैं। अगर आप अमेरिकी चुनाव पर नजर रखे हुए हैं तो महसूस हुआ होगा कि वहां के माहौल और हमारे देश में हाल में हुए आमचुनाव में एक चीज़ समान है - और वह है डर, खौफ। संदेह नहीं खौफ से वोट मिल सकते हैं, सत्ता मिल सकती है, ग्लैमर और चमक-दमक मिल सकती है - लेकिन खौफ से समस्याएं हल नहीं होतीं। खौफ बहुत से...

  • बुरा या सबसे बुरा?

    मंगलवार को किस्मत बदलेगी। कुछ की प्रत्यक्ष तौर पर और कुछ की अप्रत्यक्ष तौर पर। आप और मैं, वे और हम - हम सब ‘उनसे’ प्रभावित होंगे। ‘उनसे’ मतलब वे जो अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनेंगे। कमला हैरेस या डोनाल्ड ट्रंप - इनमें से कोई भी राष्ट्रपति बने, पूरी दुनिया पर इसका असर होगा। मुकाबला कड़ा है, कांटे का है, इतना नजदीकी है कि नतीजे का अनुमान लगाना असंभव है। कमला हैरेस और डोनाल्ड ट्रंप दोनों अपनी-अपनी शैली और रणनीति से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास करते रहे हैं। अपने कुछ श्रोताओं को उन्होंने निराश किया है...