Haryana election result

  • हरियाणा का उदाहरण

    सत्य को हरियाणा से समझें। याद करें, मोदी-शाह कब से हरियाणा विधानसभा के चुनाव की चिंता करते हुए हैं? खट्टर की जगह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय से पहले से। पीएम ने अपने खास सीएम को बदला। गैर जाट ओबीसी के एक चेहरे को सीएम बनाया। प्रदेश की बड़ी, मुखर और दबंग जात के आगे छोटी-छोटी जातों का मैनेजमेंट बनाया। भक्त वोटों को बूथ पर पहुंचाने के लिए, एक-एक सीट की माइक्रो बिसात-मैनेजमेंट पर मोदी-शाह का फोकस था। इस बारीक बात को नोट करें कि लोकसभा चुनाव तक नरेंद्र मोदी सौ फीसद अपने भगवान होने, अपने जादू-करिश्मे के आधार...

  • कार्यशैली-कल्प का अंतिम अवसर

    हरियाणा का चुनावी दृश्य कांग्रेस के भीतर अपनी-अपनी जागीरदारी कब्जाए बैठे मतलबपरस्तों के थू-थू कर्मों ने भी रचा है। कृत्रिम इंडिया-समूह के राजनीतिक दलों के सिरमौरों की क्षुद्र निजी सियासी वासनाओं ने भी सियासत के भावी आसमान पर कालिख पोतने का पाप किया है। .... राहुल की अश्व-सेना में अरबी घोड़े कम, चौसा की सब से सस्ती मंडी के खच्चर ज़्यादा हैं। अपनी सेना का आधुनिकीकरण किए बिना और उसे चुस्त-दुरुस्त बनाए बिना राहुल क्या खा कर मोदी का मुक़ाबला कर लेंगे? क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे तकनालॉजी के अनैतिक और अमान्य इस्तेमाल की मिसाल हैं? क्या ये नतीजे...

  • राहुल का प्रबंधन और करिश्मा कहां है?

    हरियाणा के चुनाव नतीजों का विश्लेषण करने वाले कांग्रेस नेता और कांग्रेस इकोसिस्टम के चुनाव विश्लेषक हर बार की तरह राहुल गांधी के ईर्द गिर्द एक सुरक्षा कवच बना रहे हैं। कोई यह नहीं पूछ रहा है कि कांग्रेस आलाकमान यानी राहुल गांधी का प्रबंधन और उनकी करिश्मा कहां था? जिस समय कुमारी सैलजा के प्रति कथित तौर पर जातिसूचक बातें कही गईं और वे नाराज होकर घर बैठ गईं तो राहुल ने क्या किया? उनके नाराज होने और प्रचार से अलग हो जाने के लगभग 10 दिन तक कोई पहल नहीं हुई। 10 दिन तक वे प्रचार से दूर...

  • कांग्रेस उम्मीदवारों से शिकायत करा सकती है

    हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि वह इसे स्वीकार नहीं कर सकती है। इसके बाद कांग्रेस ने अगल अलग जिलों से शिकायतें इकट्ठा करनी शुरू की। पहले जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने कहा कि शिकायतें जमा की जा रही हैं और उसके बाद पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कांग्रेस को जगह जगह से शिकायतें मिल रही हैं, जिन्हें इकट्ठा किया जा रहा है। कांग्रेस ने औपचारिक रूप से ये शिकायतें चुनाव आयोग को देनी शुरू कर दी हैं।...

  • रोना बिसूरना बंद करे कांग्रेस

    कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ईवीएम को लेकर सवाल नहीं हैं या चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं है। चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता तो काफी पहले तिरोहित हो चुकी है। लेकिन हर बार कांग्रेस के चुनाव हारने का कारण यही नहीं होता है। कांग्रेस हर बार अलग अलग कारणों से हारती है, जिनमें से कुछ कांग्रेस की अपनी राजनीति से जुड़े होते हैं तो कुछ देश की राजनीति और समाज व्यवस्था में आ...

  • ईवीएम पर ही नहीं खुद पर भी सोचे कांग्रेस!

    कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ईवीएम को लेकर सवाल नहीं हैं या चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं है। चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता तो काफी पहले तिरोहित हो चुकी है। लेकिन हर बार कांग्रेस के चुनाव हारने का कारण यही नहीं होता है। कांग्रेस हर बार अलग अलग कारणों से हारती है, जिनमें से कुछ कांग्रेस की अपनी राजनीति से जुड़े होते हैं तो कुछ देश की राजनीति और समाज व्यवस्था में आ...

  • हरियाणा में बड़ी उलटफेर

    कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ईवीएम को लेकर सवाल नहीं हैं या चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं है। चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता तो काफी पहले तिरोहित हो चुकी है। लेकिन हर बार कांग्रेस के चुनाव हारने का कारण यही नहीं होता है। कांग्रेस हर बार अलग अलग कारणों से हारती है, जिनमें से कुछ कांग्रेस की अपनी राजनीति से जुड़े होते हैं तो कुछ देश की राजनीति और समाज व्यवस्था में आ...

  • हरियाणा नतीजे मंजूर नहीं: कांग्रेस

    कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ईवीएम को लेकर सवाल नहीं हैं या चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं है। चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता तो काफी पहले तिरोहित हो चुकी है। लेकिन हर बार कांग्रेस के चुनाव हारने का कारण यही नहीं होता है। कांग्रेस हर बार अलग अलग कारणों से हारती है, जिनमें से कुछ कांग्रेस की अपनी राजनीति से जुड़े होते हैं तो कुछ देश की राजनीति और समाज व्यवस्था में आ...

  • सैनी के आठ मंत्री और स्पीकर हारे

    कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ईवीएम को लेकर सवाल नहीं हैं या चुनाव आयोग की भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं है। चुनाव आयोग की तटस्थता और निष्पक्षता तो काफी पहले तिरोहित हो चुकी है। लेकिन हर बार कांग्रेस के चुनाव हारने का कारण यही नहीं होता है। कांग्रेस हर बार अलग अलग कारणों से हारती है, जिनमें से कुछ कांग्रेस की अपनी राजनीति से जुड़े होते हैं तो कुछ देश की राजनीति और समाज व्यवस्था में आ...

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