दिवालीः जगमग अंधेरा!
छोटी-छोटी बातें हैं लेकिन इन्हीं से तो दिवाली बड़ा त्योहार था। दिवाली तब साल का एक इंतजार था। तब दिवाली के बाद दिवाली का राम, राम सा था। अब राम के नाम पर अयोध्या में अहंकार का शो है। उसका यह प्रतिमान है कि देखो हमने इतने लाख दीये जलाए। और देखो, देखो हमने गिनीज बुक में रिकॉर्ड बनाया।...सवाल अपने आप है कि दिवाली की रात में हम रामजी की मर्यादा का उजाला फैला रहे हैं या अहंकार के अंधेरे का? हम लक्ष्मीजी का स्वागत उजियारे से करते हैं या दिल दिमाग में फैल रहे अंधकारों से? तब लाइटें नहीं...