federalism

  • सच्चे संघवाद की समझ कब होगी?

    नासमझी ऐसी कि दुनिया के सामने 'वसुधैव कुटुंबकम्' या 'सर्वे भवन्तु सुखिन:' की डींग हाँकने वाले विभिन्न राज्यों, बल्कि एक राज्य, समुदाय और दल में भी ईर्ष्या-द्वेष, अविश्वास को हवा देते हैं। मानो, अपने समुदाय या दल के भी सब को अपना नहीं मानते। तब संघ-राज्य संबंध पर हल्केपन का क्या कहना!....कैसी विडम्बना कि अंग्रेजों ने भारतीय समाज को अधिक समझा था! उन्होंने यहाँ विशिष्ट क्षेत्रों, शासकों, समूहों को बिलकुल स्वायत्त रहने दिया था। जबकि वे असंख्य रियासतें मजे से खत्म कर सकते थे। कल्पना कीजिए कि फिल्म निर्माण, और खेलकूद को केंद्रीय विषय बनाकर उसे राजकीय एकाधिकार में ले...