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11-04-2025 Vol 19

Economy

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मौका पर खत्म एमएसएमई धंधे

भारत का कपड़ा क्षेत्र भी लाभ उठाने की स्थिति है। पड़ोसी देशों के मुकाबले कम शुल्क की वजह से देश के परिधान और वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने में...

सुखबोध की बात नहीं

भारत की सकल घरेलू अर्थव्यवस्था के 4.3 ट्रिलियन डॉलर होने संबंधी आईएमएफ का आंकड़ा आने के बाद से सत्ता समर्थक हलकों में सुखबोध की लहर दिखी है।

झंझावात का अब अहसास?

nirmala sitharaman : दुनिया में मची उथल-पुथल से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी प्रतिकूल हालात बने हैं, उसका अहसास अब भारत सरकार को भी हुआ है।

राज्यों की वित्तीय सेहत बिगड़ रही है

states inancial health : मुफ्त की योजनाएं चलाए रखने के लिए राज्यों को नए कर्ज लेने की जरुरत पड़ रही है क्योंकि राज्य इतना राजस्व नहीं जुटा पा रहे...

फूट रहे हैं बबूले

भारत के शेयर बाजारों का पूंजी मूल्य लगातार घट रहा है।

राज्यों की आर्थिक सेहत का बड़ा सवाल

चुनावों में ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटने के चलन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने जनहित याचिका...

नाकाम उपाय, चूकता रास्ता

निजी निवेश में गिरावट का सिलसिला इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भी जारी रहा।

आंकड़ों में असलियत

एनएसओ के अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि 2024-25 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चार साल के न्यूनतम स्तर पर रहेगी।

आंकड़ों के आईने में

भारतीय रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट से सामने आए तीन पहलुओं ने ध्यान खींचा है।

गिरता निर्यात, बढ़ता घाटा

समाधान देश के अंदर ही पूरा सप्लाई चेन तैयार करना है। लेकिन यह धीरज के साथ दूरगामी निवेश और नियोजन से ही हो सकता है।

विषमता पर दो दृष्टियां

बढ़ती आर्थिक गैर-बराबरी पर राजधानी में एक गंभीर चर्चा हुई। इसमें दो नजरिए उभर कर सामने आए।

ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कामकाज संभाल लिया है। उनको भी उसी तरह वित्त मंत्रालय का अनुभव है, जैसे उनके पूर्ववर्ती शक्तिकांत दास को था।

पीछे की ओर दौड़

फिर भी भारतीय की आर्थिक प्रगति का नैरेटिव पेश किया जाता है, तो उसे दुस्साहस ही कहा जाएगा।

भारत के चमकते अरबपति

जब मध्य वर्ग के ढहने और उपभोक्ता बाजार के मंद होने की चर्चा चिंता का कारण बनी हुई है, तभी भारतीय अरबपतियों का धन तेज रफ्तार से बढ़ा है।

देर से हुआ अहसास

सरकार के कर्ता-धर्ताओं को अहसास होने लगा है कि भारत की ‘ग्रोथ स्टोरी’ कहीं अटक गई है। वजह आबादी के बहुत बड़े वर्ग की उपभोग क्षमता में गिरावट है।

जीडीपी के आकलन का बेस ईयर बदला

केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है।

ऐसी असमानता और ऐसा शोषण

भारत की अर्थव्यवस्था पहले भी पिरामिड की शक्ल में थी, जिसमें शीर्ष पर कुछ लोगों के पास सारी संपत्ति संचित थी, जबकि नीचे के लोग मामूली जरुरतों के मोहताज...

वित्तीयकरण का जोर

विभिन्न कंपनियों की सालाना रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि भारतीय कारोबार जगत में अब सबसे ज्यादा मुनाफा बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और बीमा क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां कमा रही हैं।

महंगाई ने मारा डाला है

कोरोना महामारी के बाद से गणना की जाए, तो तमाम जरूरी चीजें दो से तीन गुना तक महंगी हो चुकी हैं

चमक पर ग्रहण क्यों?

वित्तीय बाजारों की चमक ही एकमात्र पहलू है, जिस पर भारत के आर्थिक उदय का सारा कथानक टिका हुआ है।

सिकुड़ता हुआ मध्य वर्ग

यह टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बताती है। इससे भाजपा सरकार का “विकसित भारत” का नैरेटिव पंक्चर होता है।

खाद्यान्नों की महंगाई नहीं रूक रही!

एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि...

अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ है

बाजार में मांग नहीं बढ़ने के बावजूद कंपनियों का मुनाफा बढ़े। ये सारी चीजें हो रही हैं इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की माइक्रो तस्वीर ठीक नहीं है।

घंटी तो बजा दी!

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आखिरकार अर्थव्यवस्था के मौजूदा स्वरूप को लेकर वह चेतावनी दी है

यही तो मसला है

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में बड़ी गिरावट आई। उसके पहले वाली तिमाही में ये दर 7.8 प्रतिशत थी,...

अगस्त में एक लाख 75 हजार करोड़ जीएसटी मिली

केंद्र सरकार ने एक महीने तक स्थगित रखने के बाद जीएसटी के आंकड़े जारी करने का सिलसिला फिर शुरू कर दिया है।

पहली तिमाही में विकास दर 6.7 फीसदी रही

अप्रैल से जून के पहले तीन महीने में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी विकास की दर घट कर 6.7 फीसदी पर आ गई।

आंकड़ों में मिली राहत

जुलाई की मुद्रास्फीति दर के बारे में ताजा आंकड़े सुकून पहुंचाने वाले हैं। इनके मुताबिक बीते महीने महंगाई की दर पांच साल के सबसे निचले स्तर पर दर्ज हुई।

योगी: यूपी अपनी जरुरतों को पूरा करने में सक्षम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस स्टेट बन चुका है और अपनी ज्यादातर आवश्यकताओं की पूर्ति खुद करने में सक्षम हो चुका...

सरकार इतनी लाचार क्यों?

अब भारतीय उद्योगपति ही इन उत्पादों को इस्तेमाल के लायक नहीं मानते, तो विदेशी बाजारों में उन्हें कितना वजन मिलेगा?

प्रत्यक्ष टैक्स संग्रह में 21 प्रतिशत बढोतरी

आयकर विभाग ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अबतक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21 प्रतिशत बढ़कर 4.62 लाख करोड़ रुपये हो गया।

हताशा का आलम

संकट अब छिपाये नहीं छिप रहा है। अब हाल यह है कि अक्सर चुनावों के बाद दिखने वाला आशावाद भी इस बार गायब ही रहा है।

ये जो हकीकत है

बीते फरवरी में- जब देश में आम चुनाव का माहौल बन रहा था- सरकार ने घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण से संबंधित आंशिक सूचनाएं जारी कर दीं।

अब जाकर खुली आंख!

सर्वोच्च कॉरपोरेट अधिकारियों की आंख जाकर खुली है। उन्हें अंदाजा हुआ है कि भारत में बेरोजगारी एक दुर्दशा का रूप ले चुकी है।

आरबीआई की बैलेंस शीट बनाम पाकिस्तानी जीडीपी

अब तक भारत के राजनीतिक दल, मंत्री, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर आदि बात बात में भारत की तुलना पाकिस्तान से करते रहते हैं। भाजपा के कई नेता तो इस मामले...

विकास दर 8.2 फीसदी रही

भारत सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 की जीडीपी विकास दर का अंतरिम अनुमान जारी किया गया है।

नजरिया परिवर्तन या धमकी?

अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के बारे में अपना नजरिया ‘स्थायी’ से बेहतर करते हुए ‘सकारात्मक’ कर दिया है।

शेयर बाजार पांच ट्रिलियन डॉलर का हुआ

भारत की अर्थव्यवस्था 2027 में पांच ट्रिलियन डॉलर का होगा लेकिन उससे बहुत पहले भारतीय शेयर बाजार पांच ट्रिलियन डॉलर का हो गया।

गुलाम कश्मीर और पाकिस्तान का सच

हाल में कश्मीर से दो खबरें आई। लोकसभा चुनाव के दौरान श्रीनगर में ढाई दशक में पहली बार सर्वाधिक— 38 प्रतिशत मतदान हुआ है।

व्यापार संतुलन पर दबाव

इस वित्त वर्ष के पहले महीने- यानी अप्रैल में भारत के व्यापार घाटे में 19.1 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई।

जीडीपी आंकड़ों पर अविश्वास

एशियन पेंट्स कंपनी के महाप्रबंधक और सीईओ अमित सिनगल ने जो कहा, उसका अर्थ भारत की जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों पर अविश्वास जताना ही माना जाएगा।

भारत में बौद्धिक पिछड़ेपन की नायाब मिसाल!

भारत में अगर कभी विषमता का सवाल सुर्खियों में आता भी है, तो ऐसा फ्रांस स्थित इनइक्लिटी लैब या ऑक्सफेम जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों से होता है।

कहानी का कुल सार

भारत में घरेलू बचत में 2023 तेज गिरावट आई। सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में यह महज 5.3 प्रतिशत रह गई है।

दुनिया के लिए चेतावनी

अमेरिका की खराब राजकोषीय हालत ने आईएमएफ जैसी संस्थाओं के कान भी खड़े कर दिए हैँ। इससे दुनिया का चिंतित होना लाजिमी है।

कुछ सबक लीजिए

सीमित अवसर वे लोग ही प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें बेहतर शिक्षा मिली होती है और जिनके पास तकनीकी कौशल होता है।

विषमता की ऐसी खाई

भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया था कि 2022-23 में घरेलू बचत 5.1 प्रतिशत तक गिर गई है, 47 साल का सबसे निचला स्तर है।

स्टार्ट-अप्स के सूखे स्रोत

कोरोना महामारी और उसके ठीक बाद के दौर में जब असल अर्थव्यवस्था डगमग थी, तब नकदी से भरपूर निवेशकों ने स्टार्ट-अप्स पर बड़ा दांव लगाया।

भारत के धनवान

भारत दुनिया में अति धनवान व्यक्तियों की संख्या में सबसे तेज वृद्धि दर दर्ज करने वाला देश बन जाएगा।