Economy

  • वित्तीयकरण का जोर

    Economy, विभिन्न कंपनियों की सालाना रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि भारतीय कारोबार जगत में अब सबसे ज्यादा मुनाफा बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और बीमा क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां कमा रही हैं। यह कहानी हाल के वर्षों में तिमाही दर तिमाही दोहराई गई है। कॉरपोरेट सेक्टर के तीसरी तिमाही में रहे प्रदर्शन ने भारतीय Economy के उत्पादक स्वरूप में आई गिरावट को फिर स्पष्ट किया है। विभिन्न कंपनियों की सालाना रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि भारतीय कारोबार जगत में अब सबसे ज्यादा मुनाफा बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और बीमा (बीएफएसआई) से जुड़ी कंपनियां कमा रही हैं। वैसे यह कहानी तिमाही दर तिमाही दोहराई...

  • महंगाई ने मारा डाला है

    कोरोना महामारी के बाद से गणना की जाए, तो तमाम जरूरी चीजें दो से तीन गुना तक महंगी हो चुकी हैं। कितने लोगों की आमदनी इसी अनुपात में बढ़ी है? मुश्किल से ऐसे 20 फीसदी लोग होंगे। मतलब, 80 प्रतिशत आबादी का जीवन स्तर गिरा है। पहले आसान भाषा में गौर करें। सितंबर में मुद्रास्फीति दर 5.5 प्रतिशत थी। यानी जो वस्तु अगस्त में 100 रुपये की थी, वह सितंबर खत्म होते-होते 105.50 रुपये की हो गई। अक्टूबर में कीमतों में औसत वृद्धि 6.2 फीसदी की हुई। यानी वही वस्तु लगभग 112 रुपये की हो गई है। इस खाद्य महंगाई...

  • चमक पर ग्रहण क्यों?

    वित्तीय बाजारों की चमक ही एकमात्र पहलू है, जिस पर भारत के आर्थिक उदय का सारा कथानक टिका हुआ है। वरना, निवेश-उत्पादन-वितरण की वास्तविक अर्थव्यवस्था किसी कोण से चमकती नजर नहीं आती। अब वित्तीय बाजारों पर भी ग्रहण के संकेत हैं। अक्टूबर में विदेशी पोर्टपोलियो निवेशकों (एफपीआईज) ने भारतीय बाजारों से लगभग 94,000 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह अभूतपूर्व है। इसके पहले किसी एक महीने में एफपीआईज ने इतनी बड़ी निकासी नहीं की थी। कोरोना महामारी ने जब दस्तक दी थी, तब मार्च 2020 में इन निवेशकों ने 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे, जो अब तक का रिकॉर्ड था। ताजा...

  • सिकुड़ता हुआ मध्य वर्ग

    यह टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बताती है। इससे भाजपा सरकार का “विकसित भारत” का नैरेटिव पंक्चर होता है। नेश्ले प्रमुख ने कहा कि भारत में मध्य वर्ग सिकुड़ रहा है, मगर साथ ही महंगी चीजों की मांग बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनी नेश्ले की भारतीय इकाई के प्रमुख ने जो कहा, वह विस्फोटक है और उस पर सत्ता पक्ष समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया अपेक्षित ही थी। सुरेश नारायणन की ये टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बताती है। इससे भाजपा सरकार का “विकसित भारत” का नैरेटिव पंक्चर होता है। नारायणन ने कहा है कि भारत में मध्य वर्ग सिकुड़ रहा...

  • खाद्यान्नों की महंगाई नहीं रूक रही!

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ है

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • घंटी तो बजा दी!

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • यही तो मसला है

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • अगस्त में एक लाख 75 हजार करोड़ जीएसटी मिली

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • पहली तिमाही में विकास दर 6.7 फीसदी रही

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • आंकड़ों में मिली राहत

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • योगी: यूपी अपनी जरुरतों को पूरा करने में सक्षम

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • सरकार इतनी लाचार क्यों?

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • प्रत्यक्ष टैक्स संग्रह में 21 प्रतिशत बढोतरी

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • हताशा का आलम

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • ये जो हकीकत है

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • अब जाकर खुली आंख!

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • आरबीआई की बैलेंस शीट बनाम पाकिस्तानी जीडीपी

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • विकास दर 8.2 फीसदी रही

    एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। जब भी महंगाई दर बढ़ती है तो लगभग हर बार यही कारण होता है कि खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इस बार जो आंकड़ा आया है यानी सितंबर, 2024 का उसमें कहा गया है कि खाने पीने की महंगाई दर 5.66 फीसदी से बढ़ कर 9.24 फीसदी हो गई। इसी वजह से...

  • नजरिया परिवर्तन या धमकी?

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