मंर्यादा और समरसता के पर्याय श्रीराम
श्रीराम सामाजिक समरसता का आइना हैं। अपने जीवन के सबसे पीड़ादायक दौर में श्रीराम ने सहयोगी और सलाहकार वनवासियों को ही बनाया, जिसमें केवट निषाद, कोल, भील, किरात और भालू शामिल रहे। अगर श्रीराम चाहते, तो अयोध्या या जनकपुर से सहायता ले सकते थे। लेकिन उनके साथी वे लोग बने, जिन्हें आज आदिवासी, दलित, पिछड़ा या अति-पिछड़ा कहा जाता है। इन सभी को श्रीराम ने 'सखा' कहकर संबोधित किया, तो वनवासी हनुमान को लक्ष्मण से अधिक प्रिय बताया है। दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह 500 वर्षों के संघर्षपूर्ण इतिहास में पहली बार है, जब रामलला ने...