भारत क्यों पुतिन-शी का मोहरा बने?
लाख टके का सवाल है कि भारत का रूपया चीन की युआन, रूस के रूबल करेंसी के लेन-देन में सुरक्षित है या डालर की व्यवस्था में? आजादी के बाद विश्व व्यापार में भारत का डालर में लेन-देन क्या भरोसेमंद या सुरक्षित था या नहीं? और यदि सुरक्षित था तो वह क्यों चीन-रूस की युआन-रूबल की नई विश्व लेन-देन व्यवस्था का ग्राहक या साझेदार बने? क्या चीनी वर्चस्वता की व्यवस्था में भारत की व्यापारिक-आर्थिक संप्रभुता को अधिक गांरटी होगी? यह सवाल कजाक की ब्रिक्स बैठक में पुतिन, शी जिन पिंग के एजेंडे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूख में अंहम और...