विदेशी किताबों को आने से रोका जा रहा!
भारत में लोगों के लिए नई विदेशी किताबों को पढ़ना मुश्किल हो गया है! इसकी हकीकत बौद्धिक भानु प्रताप मेहता ने बताई। लेकिन उसे ठीक करने की कोई चिंता नहीं है। मानों भारत में लोगों को पढ़ने नहीं देना है। कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। भारत में अब विदेश में छपी Books मंगाना और उन्हें पढ़ना हिमालय पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने जैसा है। विदेशी Books मंगाने के लिए दस तरह की जानकारी देनी होती है। कहां काम करते हैं, क्या काम करते हैं, किसलिए किताब मंगा रहे हैं, सांस्थायिक इस्तेमाल है या निजी इस्तेमाल के लिए मंगा रहे...