अगली दीवाली तक का प्रश्नपत्र
मसला दीवाली और ईद का नहीं है। मसला होली और मुहर्रम का नहीं है। मसला दुर्गा पूजा, गणेशोत्सव और रमज़ान का नहीं है। मसला यह है कि क्रिसमस, गुडफ्राइडे, ईस्टर, प्रकाश उत्सव, बैसाखी, बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती, पर्यूषण, नवरोज़, ओणम, पोंगल, उगादी, बिहू, मोआत्सुमोंग, आदि-इत्यादि हमारे सामाजिक रसरंग को विस्तार देने के लिए हैं या उसे संकीर्ण बनाने के लिए? दीवाली आई। दीवाली चली गई। दीवाली फिर आएगी। दीवाली फिर चली जाएगी। पटाखों पर पाबंदी के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की हम ने कोई परवाह नहीं की। ऐसे किसी आदेश की हम कोई भी परवाह किसी भी दीवाली पर नहीं...