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असम में कांग्रेस और एआईयूडीएफ की दूरी बढ़ी

एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने त्रिपुरा में सीपीएम के साथ तालमेल किया है और दूसरी ओर असम में बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ दूरी और बढ़ा ली है। कांग्रेस का तालमेल तो पहले ही खत्म हो गया था, अब उसने अजमल की पार्टी को भाजपा की बी टीम बताया है और कहा है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की तरह अजमल की पार्टी भी भाजपा के लिए काम करती है। असल में अजमल ने कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर और प्रभारी महासचिव पर सवाल उठाया था और भाजपा से लड़ने की कांग्रेस की क्षमता और तैयारियों पर भी सवाल उठाया था। इससे कांग्रेस की चिंता बढ़ी है।

पर मुश्किल यह है कि कांग्रेस ने मई 2021 में उसी पार्टी के साथ मिल कर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। सोचें, डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने जिस पार्टी से तालमेल किया था उसको बता रही है कि वह भाजपा की बी टीम है और भाजपा की मदद करने के लिए राजनीति कर रही है। पार्टी के महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने खुद प्रेस कांफ्रेंस करके अजमल पर निशाना साधा और कहा कि 2021 में जब वे कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे थे तब भी वे भाजपा की मदद कर रहे थे। सोचें, ऐसा कैसे संभव है? दोनों पार्टियों का प्रदर्शन पहले जैसा ही रहा था। कांग्रेस ने 27 और अजमल की पार्टी ने 15 सीटें जीतीं। अगर 2016 के चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस की एक सीट बड़ी थी और एआईयूडीएफ की तीन सीट घट गई थी। यानी कांग्रेस के साथ लड़ कर अजमल की पार्टी को घाटा हुआ था। फिर भी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व और प्रभारी महासचिव जितेंद्र सिंह पर दिए बयान से कांग्रेस इतनी नाराज हो गई कि उसको भाजपा के लिए काम करने वाली पार्टी बताने लगी।

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