राहुल गांधी ने एक बार फिर सिद्धरमैया को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनवा दिया। उनको पहली बार भी राहुल ने ही मुख्यमंत्री बनवाया था। ध्यान रहे सिद्धरमैया कोई कांग्रेस नेता नहीं हैं। उनको 2005 में एचडी देवगौड़ा ने अपनी पार्टी जेडीएस से निकाल दिया था और उसके कुछ समय बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए थे। जेडीएस से निकाले जाने के बाद भी कांग्रेस उनकी प्राथमिकता वाली पार्टी नहीं थी। वे राजनीति से संन्यास लेने या अपनी पार्टी बनाने पर विचार कर रहे थे। बाद में सोनिया गांधी की मौजूदगी में वे कांग्रेस में शामिल हुए और जबरदस्त मुकाबले में चामुंडेश्वरी सीट पर उपचुनाव जीते।
जब 2013 में कांग्रेस को बहुमत मिला और मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो सिद्धरमैया प्रदेश कांग्रेस की पसंद नहीं थे। उस समय तक राहुल गांधी बहुत सक्रिय हो गए थे और दूसरी बार सांसद बने थे। वे कांग्रेस के बड़े फैसले कर रहे थे। सिद्धरमैया उनको पसंद थे। इसलिए राहुल ने उनके नाम का फैसला कराया। तभी इस बार भी चुनाव के पहले से माना जा रहा था कि अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो सिद्धरमैया ही मुख्यमंत्री बनेंगे। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि अंत में राहुल गांधी ने उनके नाम पर वीटो किया और उनके वीटो का सम्मान करने के लिए सोनिया गांधी ने शिवकुमार को तैयार किया।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक शिवकुमार तो सिद्धरमैया का विरोध कर ही रहे थे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी नहीं चाहते थे वे मुख्यमंत्री बनेंगे। यहां तक कहा जा रहा है कि शिवकुमार ने रविवार से लेकर बुधवार की रात तक जो नाटक किया या दबाव बनाए रखा वह खड़गे की वजह से था। कांग्रेस के एक जानकार नेता के मुताबिक बुधवार की शाम को कुछ लोगों ने मीडिया में खबर प्लांट कराई थी कि अगर डीकेएस और सिद्धा का गतिरोध खत्म नहीं होता है तो सरप्राइज के तौर पर कोई नया चेहरा सामने आ सकता है। नए चेहरे के तौर पर अंदरखाने खड़गे के नाम की चर्चा शुरू हो गई थी। यह पुरानी थ्योरी भी निकाली गई थी कि खड़गे मुख्यमंत्री बन जाएंगे और राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा।
राहुल गांधी को इस बात का अंदाजा बुधवार को दोपहर में हो गया था, जब उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री के दोनों दावेदारों से हो गई थी। इसके बाद भी उन्होंने दोनों को साथ बैठा कर मामला सुलझाने का प्रयास किया पर शिवकुमार अड़े रहे। उन्होंने बेंगलुरू में अपने समर्थकों को दिल्ली आने का मैसेज करा दिया। तब फिर राहुल गांधी ने खड़गे और सोनिया गांधी दोनों से बात की और सोनिया के दखल के बाद शिवकुमार पीछे हटे। बहरहाल, राहुल ने सिद्धरमैया को सीएम बनवा दिया है लेकिन सरकार चलाने में आए दिन टकराव हो सकता है और सारे समय पंचायत चलती रह सकती है। राहुल के करीबी प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की भूमिका भी प्रासंगिक बनी रहेगी।