Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

कांग्रेस में उत्तर भारत के नेताओं को तरजीह मिलेगी?

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सात महीने से पद पर हैं और अभी तक उन्होंने अपनी टीम नहीं बनाई है। उनसे पहले कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी ने जो टीम बनाई थी वही टीम काम कर रही है और कांग्रेस कार्य समिति भंग हो चुकी है। सो, खड़गे के सामने केंद्रीय टीम बनाने और कार्य समिति के गठन की बड़ी चुनौती है। बताया जा रहा है कि सोनिया और राहुल ने उनको पूरी छूट दी है कि वे पसंद से टीम बनाएं। उनकी नई टीम को लेकर कुछ आशंकाएं हैं, जिनमें सबसे बड़ी यह है कि क्या वे उत्तर भारत के नेताओं को तरजीह देंगे? क्योंकि अभी अध्यक्ष, संगठन महासचिव, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष आदि दक्षिण के हैं।

अभी कांग्रेस की राष्ट्रीय टीम में दक्षिण भारतीय नेता ही शीर्ष पर हैं। खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक के हैं। प्रदेश छोड़ कर राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद से ही वे लगातार शीर्ष पदों पर हैं। पहले वे केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे। फिर कांग्रेस हारी तो लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने। उसके बाद जब वे खुद लोकसभा का चुनाव हार गए तो पार्टी ने महाराष्ट्र जैसे राज्य का प्रभारी बनाया और जब वे राज्यसभा के लिए चुन कर आ गए तो उनको राज्यसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। अब वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल केरल के हैं। वे सोनिया गांधी की टीम में भी संगठन महासचिव थे। राहुल गांधी ने उनको कांग्रेस संगठन में नंबर दो पदाधिकारी का पद दिलवाया था। शुरू में तो उनकी बड़ी दिक्कत थी क्योंकि वे अपने राज्य से बाहर सिर्फ कर्नाटक के बारे में जानते थे, जहां के वे प्रभारी थे। धीरे धीरे उन्होंने अपने को अपनी बड़ी भूमिका में ढाला है और अब वे अहम जिम्मेदारी निभाते हैं। इसी तरह यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी कर्नाटक के हैं। महिला कांग्रेस भी नेटा डिसूजा के हवाले है, जो 2021 में कार्यकारी अध्यक्ष बनी थीं।

तभी उम्मीद की जा रही है कि खड़गे की केंद्रीय टीम में उत्तर भारत के नेताओं को तरजीह मिलेगी। कांग्रेस अध्यक्ष और संगठन महासचिव दोनों दक्षिण भारत के हैं। सो, संगठन महासचिव की जिम्मेदारी किसी उत्तर भारतीय नेता को मिल सकती है। इसी तरह यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष भी किसी उत्तर भारतीय नेता को बनाया जा सकता है। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि पिछले तीन दशक में उत्तर भारत में वह बहुत कमजोर हुई है। ऊपर से पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने अपने बच्चों को छोड़ कर किसी दूसरे युवा नेता को आगे नहीं बढ़ने दिया। राहुल गांधी ने जिन युवाओं को आगे बढ़ाया वे या तो पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं या जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए खड़गे के भी हाथ बंधे हुए हैं। उनके सामने बहुत कम विकल्प में से अच्छा विकल्प चुनने की चुनौती है।

Exit mobile version