कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे रबर स्टैम्प नहीं हैं और न रिमोट से चलने वाले अध्यक्ष हैं। वे अपनी जगह समझ रहे हैं और उनको अपने अधिकार का भी पता है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी आलाकमान यानी सोनिया और राहुल गांधी की ओर से उनको खुली छूट मिली है। उनको अपनी टीम बनाने और अपने हिसाब से काम करने को कहा गया है। रायपुर अधिवेशन के पहले दिन हुई स्टीयरिंग कमी की बैठक में भी सोनिया व राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का गैरहाजिर रहना भी इस योजना का हिस्सा था। वे नहीं चाहते थे कि नेहरू गांधी परिवार के साये में खड़गे बैठक करें। तभी बैठक के दौरान भी खड़गे ने अपने तेवर दिखाए और बाद में भी पार्टी नेताओं ने उनके तेवर देखे।
बताया जा रहा है कि खड़गे ने पार्टी के दो बड़े नेताओं को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई। इसका मैसेज पार्टी के तमाम नेताओं को रिसीव हो गया है। वे समझ गए हैं कि खड़गे के सामने ज्यादा बोलना नहीं चलेगा और न ज्यादा होशियारी चलेगी। जानकार सूत्रों के मुताबिक रायपुर में बैठक के दौरान खड़गे की तारीफ करते हुए चौधरी ने उनका अनुभव बताया और साथ ही यह भी कहा कि वे दलित समाज से आते हैं। बताया जा रहा है कि खड़गे इस पर भड़क गए और उन्होंने अधीर रंजन को लगभग डांटते हुए कहा कि क्या दलित दलित लगा रखा है। खड़गे खुद भी दलित समाज की अपनी पहचान से ज्यादा वंचित तबके की पहचान का जिक्र करते हैं। सो, कांग्रेस नेताओं के लिए यह एक सबक था।
दूसरा वाकया जयराम रमेश से जुड़ा है। असल में पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में कहा कि विपक्षी एकता बनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी की है। उसे तय करना है कि किस तरह से गठबंधन बनेगा। इस पर एक प्रेस कांफ्रेंस में रमेश ने प्रतिक्रिया दी थी और नीतीश पर तंज करते हुए कहा था कि भाजपा पर कांग्रेस का दोहरा रवैया नहीं है, कांग्रेस कभी भाजपा के साथ नहीं रही है। बताया जा रहा है कि इससे खड़गे काफी नाराज हुए थे और उन्होंने रमेश से कहा था कि तुमको चुनाव लड़ना नहीं है और इस तरह की तुम्हारी बयानबाजी से कांग्रेस के बाकी नेता भी चुनाव हार जाएंगे।
ध्यान रहे खड़गे ने सबसे पहले नगालैंड की चुनावी रैली में कहा था कि कांग्रेस विपक्ष पार्टियों से बात कर रही है और चुनाव पूर्व गठबंधन बनेगा। इसके बाद उन्होंने एक मार्च को चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के 70वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में यह भी कहा कि कांग्रेस ने कभी नहीं कहा है कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा। इस तरह से उन्होंने विपक्ष को संदेश दिया कि कांग्रेस नेतृत्व संभालने या प्रधानमंत्री पद की उम्मीद में विपक्षी गठबंधन की पहल नहीं कर रही है। इस तरह रमेश को उनके बयान के लिए फटकार लगा कर खड़गे ने गठबंधन पर इधर उधर बोलने वाले बाकी नेताओं को भी संदेश दिया।