एनसीपी नेता अजित पवार से महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को छोड़ कर कोई खुश नहीं है। भाजपा के अलावा बाकी सभी पार्टियां और सारे नेता उनसे नाराज हैं। उनके चाचा शरद पवार और बहन सुप्रिया सुले नाराज हैं तो शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट भी नाराज है। एकनाथ शिंदे गुट की शिव सेना भी उनसे नाराज है तो कांग्रेस भी। भाजपा पता नहीं उनमें क्या संभावना देख रही है, जो उनसे काफी खुश है। भाजपा के नेता उनको बड़ा और अनुभवी नेता बता कर स्वागत के लिए आतुर दिख रहे हैं। उनसे एक बार धोखा खा चुकी भाजपा अब भी उम्मीद लगाए बैठी है, जबकि इस बार भी अंदाजा लगाय जा रहा है कि उन्होंने भाजपा का इस्तेमाल किया है और कोई वास्तविक फायदा उसको नहीं पहुंचाने जा रहे हैं।
पिछली बार यानी नवंबर 2019 में जब वे भाजपा के साथ गए थे और चार-पांच दिन के लिए उप मुख्यमंत्री बन गए थे उस समय कहा गया था कि सिंचाई घोटाले में उनको केंद्रीय एजेंसियों से क्लीन चिट मिली थी। इस बार जब उनके भाजपा के नजदीक जाने की चर्चा हुई तो खबर है कि महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में ईडी के आरोपपत्र में अजित पवार और उनकी पत्नी का नाम नहीं है। बहरहाल, अब स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने दो टूक चेतावनी दी है कि अगर भाजपा ने अजित पवार से तालमेल किया और एनसीपी के विधायकों के एक गुट का समर्थन लिया तो शिव सेना सरकार छोड़ देगी। दूसरी ओर से शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने ‘सामना’ में अपने कॉलम में नाम लेकर अजित पवार पर सवाल उठाया है, जिससे अजित पवार भड़के। पर उसकी परवाह किए बगैर राउत ने कहा कि वे सिर्फ शरद पवार की बात सुनते हैं। उधर शरद पवार और सुप्रिया सुले के नाराज होने की खबर अलग आ रही है।