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क्या विपक्षी एकता सचमुच बन गई?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा कि विपक्षी एकता बन गई है बस थोड़ा सा ‘गिव एंड टेक’ होना है। उनके इस बयान का मतलब है कि जिन विपक्षी पार्टियों को एक साथ मिल कर चुनाव लड़ना है उनके बीच बातचीत हो गई है और कुछ ही सीटों पर तालमेल का मामला अटका है। कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं को इसका अंदाजा नहीं है। तभी सवाल है कि क्या सचमुच अंदरखाने कोई बात हुई है और पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हुआ है? ध्यान रहे कुछ महीने पहले फरवरी के अंत में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नगालैंड की एक चुनावी रैली में कहा था कि विपक्षी पार्टियों के साथ उनकी बात चल रही है। उसके बाद अब राहुल गांधी ने कहा है कि थोड़ा मोलभाव और होना है।

अगर खड़गे और राहुल की बात सही है तो इसका मतलब है कि असली तालमेल की बात हो चुकी है और ऊपरी दिखावे वाला काम अभी चल रहा है। इसका एक मतलब यह भी है कि आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को इससे अलग रखा गया है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि ये पार्टियां गठबंधन का हिस्सा नहीं हो सकती हैं। लेकिन अभी ये कांग्रेस के गठबंधन से अलग हैं। अगर ये गठबंधन में या विपक्षी एकता में शामिल होते तो थोड़ा ‘गिव एंड टेक’ बाकी नहीं होता।

राहुल गांधी की बात यह मतलब दिख रहा है कि कांग्रेस ने यूपीए में शामिल गठबंधन की अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ तालमेल की बात कर ली है। गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का कई राज्यों में गठबंधन है। तमिलनाडु में डीएमके, झारखंड में जेएमएम, बिहार में राजद व जदयू, महाराष्ट्र में एनसीपी व शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट, केरल में आईयूएमएल व केरल कांग्रेस आदि पार्टियां कांग्रेस के साथ हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस के गठबंधन की सरकार भी है। इन पार्टियों के साथ कांग्रेस पहले साझा तौर पर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़ चुकी है।

तभी राहुल गांधी के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र को छोड़ कर बाकी राज्यों में कांग्रेस ने अपना गठबंधन बना लिया है और सहयोगियों के साथ सीटों के तालमेल पर चर्चा कर लिया है। महाराष्ट्र, बिहार व तमिलनाडु में कांग्रेस छोटी सहयोगी के तौर पर और जम्मू कश्मीर, झारखंड व केरल में गठबंधन की मुख्य पार्टी के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के अलावा उत्तर भारत में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में अकेले लड़ेगी। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का मामला बाद में तय होगा। इससे यह जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव के लिए कांग्रेस गठबंधन में जगह नहीं है।

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