गुलाम नबी आजाद को क्या सचमुच अपने बंगले की चिंता है, जिसकी वजह से वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुल कर तारीफ कर रहे हैं और सोनिया व राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं? इसमें संदेह नहीं है कि कोई इतना बड़ा नेता सिर्फ बंगले की चिंता में अपनी पूरी राजनीति दांव पर नहीं लगाता है। इसलिए बंगले के साथ साथ कुछ और भी राजनीतिक कारण हैं। लेकिन बंगला और सुरक्षा ये दो मुख्य कारण हैं। असल में गुलाम नबी आजाद के पास दिल्ली के साउथ एवेन्यू में तो बंगला है ही जम्मू कश्मीर में भी एक बंगला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 50 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिनको बंगला मिला था और उसके योग्य नहीं होने के बावजूद उन्होंने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है। उसमें आजाद का भी नाम है।
ध्यान रहे जम्मू कश्मीर में भी केंद्र की ही सरकार चल रही है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं। अगर उनका प्रशासन चाहे तो तुरंत आजाद को बंगला खाली करना होगा। सोचें, राहुल गांधी जैसे नेता को सदस्यता खत्म होने के दो दिन के अंदर नोटिस मिल गया और एक महीने में बंगला खाली करने को कह दिया गया है, जबकि आजाद की सदस्यता समाप्त हुए एक साल से ज्यादा हो गए। कश्मीर में तो बंगले के लिए वे काफी पहले ही अयोग्य हो गए थे। सो, बंगला एक कारण है। इसके अलावा भाजपा को उनकी उपयोगिता जम्मू कश्मीर की राजनीति में दिख रही है। भाजपा को हर हाल में अगले चुनाव के बाद अपना मुख्यमंत्री बनाना है उसमें कोई भूमिका आजाद निभा सकते हैं और उसके बाद उनको कहीं का राज्यपाल बनाया जा सकता है।