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कमाल करने के बावजूद तिपरा मोथा को मौका नहीं

त्रिपुरा में नई बनी पार्टी तिपरा मोथा ने कमाल का प्रदर्शन किया। पहली बार चुनाव लड़ रही प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी ने 11 सीटें जीतीं। लेकिन उनके लिए कोई मौका नहीं बना। प्रद्योत देबबर्मा को लग रहा था कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बनेगी और तब सत्ता की चाबी उनके हाथ में रहेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जैसे तैसे भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी आईपीएफटी को बहुमत मिल गया। हालांकि दोनों को बहुत नुकसान हुआ है और भाजपा व आईपीएफटी को पिछली बार से 12 सीटें कम मिली हैं। इसके बावजूद सरकार का बहुमत बन गया है। दूसरी ओर कांग्रेस से तालमेल करने के बावजूद सीपीएम 16 सीटों पर ही अटक गई, जितनी सीट पिछली बार मिली थी।

आदिवासी पार्टी तिपरा मोथा के नेता प्रद्योत देबबर्मा ने यहां तक दावा किया था कि त्रिशंकु विधानसभा बनेगी और वे भाजपा के विधायकों को तोड़ कर अपनी सरकार बनाएंगे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनको अपने विधायकों को बचाना होगा। ध्यान रहे लेफ्ट के विधायक पहले भी नहीं टूटे थे। हालांकि तब भाजपा को जरूरत नहीं थी क्योंकि उसके पास बहुमत से ज्यादा सीटें थीं। इस बार उसे जैसे तैसे बहुमत हासिल हुआ है इसलिए वह सरकार की मजबूती के लिए अतिरिक्त विधायक जुटाने का प्रयास करेगी। ऐसे में तिपरा मोथा के विधायक टूटेंगे, ऐसी आशंका जताई जा रही है। सो, बहुत शानदार प्रदर्शन के बावजूद देबबर्मा को कुछ नहीं मिला, उलटे विधायकों को बचाने की चिंता हो गई। तभी यह भी कहा जा रहा है कि वे खुद ही भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे सकते हैं ताकि पार्टी एकजुट रहे।

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