Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

डॉक्यूमेंट्री के जाल में फंस गईं पार्टियां

पता नहीं बीबीसी ने किस मकसद से गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी लेकिन ऐसा लग रहा है कि उससे भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा पूरा हो रहा है। इस साल तेलंगाना में विधानसभा का चुनाव होना है। उससे पहले इस डॉक्यूमेंट्री के बहाने राज्य में गुजरात दंगों का मुद्दा छिड़ गया है। तमाम रोक के बावजूद सोमवार को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इस डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया। स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन ने इसका प्रदर्शन किया। सामूहिक रूप से इन दो संगठनों के छात्रों ने यह डॉक्यूमेंट्री देखी। इन दोनों समूहों को फ्रेटरनिटी ग्रुप कहा जाता, जिसके 50 ज्यादा छात्र स्क्रीनिंग में शामिल हुए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसे मुद्दा बनाया है। कहने की जरूरत नहीं है कि गुजरात दंगे का मुद्दा जितना उछलेगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू हृदय सम्राट वाली छवि उतनी मजबूत होगी।

सोचें, जब खुद केंद्रीय गृह मंत्री ने पिछले दिनों 2002 के दंगों की मिसाल देकर कहा कि सबक सिखा दिया गया था तब ऐसी किसी डॉक्यूमेंट्री से क्या साबित होने वाला है? यह तो भाजपा के मुद्दे को ही मजबूती देने का मामला हो गया। हैरानी की बात है कि पढ़े लिखे लेकिन राजनीतिक रूप से बिल्कुल नवजात किस्म के छात्र और उनका संगठन इसको मुद्दा बना रहा है। जेएनयू में भी छात्र संघ की ओर से एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की बात है। जेएनयू प्रशासन की ओर से ऐसा नहीं करने को कहा गया है। ध्यान रहे सरकार ने डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन रोक दिया है और सोशल मीडिया में उसे शेयर करने पर भी रोक लगा दी है। लेकिन कई पार्टियों के नेता इसे मुद्दा बना रहे हैं। जैसे तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इसे मुद्दा बनाया।

Exit mobile version