Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

ओवैसी का एक अलग मोर्चा

ऑल इंडिया एमआईएम के नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपना एक अलग मोर्चा बनाया है। कोई और पार्टी उनके साथ नहीं है लेकिन वे अकेले एक मोर्चा हैं और सबसे दिलचस्प बात यह है कि तमाम विपक्षी पार्टियां जिस तरह से भाजपा से लड़ रही हैं उसी तरह उनको ओवैसी से भी लड़ना है। उन्होंने अकेले समूचे विपक्ष को परेशान करके रखा है। कई और पार्टियां हैं, जो कह रही हैं कि वे कांग्रेस और भाजपा से समान दूरी रखेंगे। लेकिन ओवैसी भाजपा और विपक्ष दोनों से समान दूरी रख कर दिखा रहे हैं। विपक्ष की पार्टियां सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं तो ओवैसी ने विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई नहीं की तो भाजपा से ज्यादा आलोचना ओवैसी ने की।

अब स्थिति यह है कि बिहार में नीतीश कुमार से लेकर झारखंड में हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से लेकर महाराष्ट्र में शरद पवार और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल तक की सबसे बड़ी चिंता ओवैसी हैं। ये सारे विपक्षी नेता मान रहे हैं कि इस बार चुनाव में जबरदस्त ध्रुवीकरण होगा और मुस्लिम मतदाता गलती से भी किसी वोटकटवा पार्टी या उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे। इसके बावजूद हकीकत है कि मुस्लिम समाज के युवाओं में ओवैसी की लोकप्रियता बढ़ रही है। बिहार की दो सीटों पर उपचुनाव में उनके उम्मीदवारों ने इतना वोट काटा, जिससे महागठबंधन की हार हुई और भाजपा का उम्मीदवार जीता। तभी जब बुधवार को नीतीश कुमार ने उनको भाजपा का एजेंड कहा तो लगा कि नीतीश और उनका गठबंधन कितनी चिंता में है। अभी ओवैसी कर्नाटक से लेकर राजस्थान तक चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और सभी विपक्षी पार्टियों को किसी तरह से उनकी काट खोजनी है।

Exit mobile version