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त्रिपुरा में शाह के भाषण का मतलब

अमित शाह त्रिपुरा गए तो उन्होंने वहां से ऐलान किया कि एक जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राममंदिर बन कर तैयार हो जाएगा। उन्होंने यह तारीख कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को नोट कराई। उन्होंने त्रिपुरा के लोगों को भी कहा कि वे अपनी टिकट बुक कराएं अयोध्या की यात्रा करने के लिए। इसके बाद उन्होंने त्रिपुर सुंदरी का भी भव्य मंदिर बनाने की बात कही। मतलब साफ है कि भाजपा त्रिपुरा में पांच साल राज चलाने और दो मुख्यमंत्रियों को आजमाने के बाद अयोध्या के राममंदिर और त्रिपुर सुंदरी के मंदिर के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाली है। ऐसा इसलिए है क्योंकि त्रिपुरा में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। बिप्लब देब को हटा कर हाल तक कांग्रेस के नेता रहे मानिक साहा को मुख्यमंत्री बनाने का दांव भी काम नहीं आ रहा है।

अब तक त्रिपुरा में भाजपा के पांच विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। भाजपा की सहयोगी इंडिजेनस त्रिपुरा पीपुल्स पार्टी के भी तीन विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। यानी सत्तारूढ गठबंधन के आठ विधायकों ने पार्टी छोड़ी है। कई विधायक कांग्रेस में लौटे हैं तो कुछ तृणमूल कांग्रेस के साथ जुड़े हैं। सुदीप रॉय बर्मन के कांग्रेस के साथ जुड़ने से कांग्रेस की ताकत बढ़ी है। इस बीच प्रद्योत देबबर्मा की तिपरा पार्टी के गठन से स्थानीय लोगों को एक नया प्लेटफॉर्म मिला है। कहा जा रहा है कि पिछली बार 42 फीसदी वोट और 18 सीट जीतने वाली सीपीएम और कांग्रेस के साथ साथ तिपरा का तालमेल हो सकता है। इन पार्टियों के बीच तालमेल की बातचीत चल रही है। अगर ये पार्टियां एक साथ आती हैं तो भाजपा को बड़ी दिक्कत होगी। कांग्रेस को पिछली बार दो फीसदी ही वोट मिले थे लेकिन तिपरा और लेफ्ट के साथ मिलने से गठबंधन की ताकत बढ़ सकती है। तभी अमित शाह और भाजपा व संघ के नेता वहां इतनी मेहनत कर रहे हैं।

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